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प्र० भि० 1: 20,00,00,000 पर उत्तरी गोलार्द्ध के लिए एक शिरोबिन्द गोलीय प्रक्षेप ध्रुवीय दशा की रचना कीजिए जिसमें प्रक्षेपान्तर 15° हो। इस प्रक्षेप की विशेषताएँ, गुण, अवगुण एवं उपयोगिता को भी बताइए।

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शिरोबिन्दु गोलीय या समाकृति प्रक्षेप
Zenithal Stereographic Projection-Polar Case

यह भी एक सन्दर्श प्रक्षेप है। इस प्रक्षेप में प्रकाश की स्थिति ग्लोब के ध्रुव (केन्द्र) पर होती है। स्पर्श रेखा तल, विषुवत रेखा के किसी बिन्दु पर ग्लोब को छूती है। इस प्रक्षेप पर देशान्तर रेखाएँ सरल रेखाएँ होती हैं। अक्षेप में अक्षांशों के बीच की दूरी में केन्द्र (ध्रुव) से बाहर की ओर जाने पर केन्द्रीय प्रक्षेप से धीमी गति से बनती है। इसी कारण इस पर विषुवत् रेखा तथा सम्पूर्ण गोलार्द्ध का रेखा जाल बनाया जा सकता है। इस प्रक्षेपकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ध्रुवों के बाहर की ओर जाने पर किसी भी बिन्दु पर अक्षांश-देशान्तरों का आनुपातिक विस्तार समान रहने से यह एक सम-आकृति प्रक्षेप बन जाता है।

इस प्रकार पृथ्वी के ग्लोब पर खींचा गया वृत्त त्रिकोण या वर्ग इस प्रक्षेप की उसी आकृति द्वारा ही प्रदर्शित किया जाएगा। इस प्रक्षेप का यह गुण तीनों ही दशाओं (ध्रुवीय, विषुवत्खीय एवं तिर्यक) में बराबर बना रहता है। आवश्यकता के लिए प्रक्षेप से विपरीत ध्रुव को छोड़कर सम्पूर्ण ग्लोब का रेखा जाल बनाया जा सकता है। इन प्रक्षेपों में विषुवत रेखा के आगे के भाग में अक्षांशों के बीच के अन्तर में तेजी से वृद्धि होने लगती है जिससे उन प्रदेशों का आकार विकृत हो जाता है। इसी कारण ऐसे प्रदेशों का प्रदर्शन अनुपयोगी होता है।

अब ड्राईंगशीट के दायीं ओर एक-दूसरे को काटती हुई दो सरल रेखाएँ खींचीं जो य बिन्दु पर मिलती हैं। अर्द्धवृत्त के द बिन्दु से द क, द ख, द ग, द घ तथा द च के बराबर अर्द्धव्यास लेकर य बिन्दु से पाँच वृत्त बना दिये। य बिन्दु से ये वृत्त क्रमशः 75°,60°, 45°, 30° एवं 15° को प्रदर्शित करेंगे। य बिन्दु केन्द्र अर्थात् उत्तरी ध्रुव को प्रकट करेगा। य केन्द्र से ही 15° के कोणीय अन्तर पर चारों ओर सरल रेखाएँ खींच दीं जो देशान्तर रेखाओं को प्रकट करेंगी। पिछले पृष्ठ पर दिए गए चित्रानुसार इस रेखाजाल को अंशांकित कर दिया। यही शिरोबिन्दु गोलीय या समाकृति प्रक्षेप होगा।

शिरोबिन्दु गोलीय प्रक्षेप की विशेषताएँ
Characteristics of Zenithal Stereographic Projection

⦁    यह एक सन्दर्श प्रक्षेप है। इसमें प्रकाश-किरणों की स्थिति विपरीत ध्रुव पर मानी जाती हैं।
⦁    सभी अक्षांश रेखाएँ समकेन्द्रित वृत्त होती हैं।
⦁    सभी देशान्तर रेखाएँ घटाये गये ग्लोब के अर्द्धव्यास हैं। किरणें ध्रुव से बाहर की ओर विकिरित होती हैं।
⦁    अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ परस्पर समकोण पर काटती हैं।
⦁    प्रक्षेप पर ध्रुवीय प्रदेशों के मानचित्रों में पूर्ण शुद्धता रहती है।
⦁    प्रक्षेप पर ध्रुर्व से दूर हटने पर अक्षांशों के बीच की दूरी धीमी गति से बढ़ने लगती है। अत: इस प्रक्षेप पर विषुवतीय प्रदेशों तक को प्रदर्शित किया जा सकता है।
⦁    इस प्रक्षेप पर अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के सहारे-सहारे किसी भी बिन्दु पर मापक में समान वृद्धि होती है। अत: यह एक सम आकृति प्रक्षेप है। यह गुण कुछ ही प्रदेशों तक सीमित रहता है, क्योंकि बाहर की ओर जाने पर मापक में वृद्धि होने से क्षेत्रफल में भी तीव्रता से वृद्धि होने लगती है।
⦁    अन्य शिरोबिन्दु प्रक्षेपों की भाँति यह प्रक्षेप भी शुद्ध दिशा प्रक्षेप है। अतः सभी देशान्तर रेखाओं के सहारे-सहारे दिशा शुद्ध रहती है।
⦁    प्रक्षेप पर ध्रुवों से 70° अक्षांशों के मध्य मापक एवं क्षेत्रफल में मन्द गति से वृद्धि होती है।
⦁    यह समक्षेत्रफल या शुद्ध मापक प्रक्षेप नहीं है। ध्रुव अर्थात् केन्द्र से बाहर की ओर जाने में

क्षेत्रफल एवं मापक में तेजी से वृद्धि होती जाती है। विषुवत रेखा के समीपवर्ती भागों में यह वृद्धि कई गुना हो जाती है। इस प्रकार विषुवत् रेखा के निकट स्थित देश-श्रीलंका, सेलेबीज, मलागैसी आदि अपने आकार से बहुत बड़े दिखलायी पड़ते हैं।

गुण

⦁    यह शुद्ध आकृति प्रक्षेप है अर्थात् इस पर आकृति समरूप रहती है।
⦁    यह शुद्ध दिशा प्रक्षेप है।
⦁    इस प्रक्षेप पर विषुवत् रेखा तक के क्षेत्रों को भली-भाँति दिखाया जा सकता है।

अवगुण

⦁    इस प्रक्षेप पर मापक गलत रहता है।
⦁    यह एक अशुद्ध क्षेत्रफल प्रक्षेप है।
⦁    विषुवत् रेखा के निकटवर्ती भागों में प्रदेशों का आकार बड़ा हो जाता है।

उपयोगिता

⦁    यह ध्रुवीय प्रदेशों में यातायात मार्ग प्रदर्शित करने के लिए एक उपयोगी प्रक्षेप है।
⦁    70° से ध्रुवों तक के मध्य दैनिक मौसम मानचित्रों के प्रदर्शन के लिए उत्तम प्रक्षेप है।

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