दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
मैं नीर भरी दुख की बदली !
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसो,
क्रन्दन में आहत विश्व हँसा,
नयनों में दीपक से जलते
पलकों में निर्झरिणी मचली ।।
मेरा पग पग संगीत-भरा,
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा,
नभ के नव रँग बुनते दुकूल,
छाया में मलय-बयार पली !
(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने स्वयं को क्या बताया है?
(iv) कवयित्री के निरन्तर रुदन का क्या कारण है?
(v) कवयित्री आकाश से अपने हृदय की समानता करते हुए क्या कहती है?