नागरिकों के चार प्रमुख राजनीतिक अधिकार निम्नलिखित हैं
⦁ मतदान का अधिकार- लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था में नागरिकों को प्रदत्त मतदान का अधिकार अन्य अधिकारों में सबसे महत्त्वपूर्ण है। इस अधिकार द्वारा नागरिक अपने प्रतिनिधियों को निर्वाचित करके विधायिकाओं में भेजते हैं।
⦁ निर्वाचित होने का अधिकार– प्रत्येक नागरिक को निर्वाचित होने का अधिकार प्राप्त होता है। जब तक नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता है तब तक वे शासन-संचालन में भाग नहीं ले सकते हैं। इस अधिकार की प्राप्ति की लिंग, जाति, सम्प्रदाय, धर्म आदि का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
⦁ सार्वजनिक पद ग्रहण करने का अधिकार- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता, क्षमता तथा अनुभव के आधार पर सरकारी पद प्राप्त करने का समान अवसर एवं अधिकार होना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
⦁ प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार- इस अधिकार के आधार पर नागरिक असुविधा, कष्ट अथवा असामान्य परिस्थितियों में प्रार्थना-पत्र द्वारा राज्य का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर आकृष्ट कर सकते हैं।