गद्यांश पर आधारित प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) भूमि का निर्माण देवों ने किया है, वह अनन्त काल से है। उसके भौतिक रूप, सौन्दर्य और समृद्धि के प्री \( T \) हमारा आवश्यक कर्त्त्य है। भूमि के पार्थिव स्वरूप के प्रति हम जितने अधिक जागरित होंगे, उतनी ही हमारी वती हो सकेगी। यह पृथिवी सच्चे अर्थों में समस्त राष्ट्रीय विचारधाराओं की जननी है। जो राष्ट्रीयता पृथिवी के वह निर्मूल होती है। राष्ट्रीयता की जड़ें पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी, उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवि लेए पृथिवी के भौतिक स्वरूप की आद्योपांत जानकारी प्राप्त करना, उसकी सुन्दरता, उपयोगिता और मा ानना आवश्यक धर्म है।
प्रश्न - (क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) "राष्ट्रीयता की जड़ें, पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी, उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवि इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) गद्यांश के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालिए।
(ङ) देवताओं द्वारा निर्मित भूमि के प्रति मानव-जाति का क्या कर्त्तव्य है ?
(च) पथ्वी के पति हमारा क्या धर्म है ?