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ago in Hindi by (20 points)
(ग) मैंने बहतों को रूप से पाते देखा था, बहुतों को धन से और गुणों से भी बहुतों को पाते देखा था, पर मानवत आँगन में समर्पण और प्राप्ति का यह अदृभुत सौम्य स्वरूप आज अपनी ही आँखों देखा कि कोई अपनी पीड़ा से kisi को पाये और किसी का उत्सर्ग सदा किसी की पीड़ा के लिए ही सुरक्षित रहे। (i) उपर्युक्त gadyansh के लेखक एवं पाठ का नाम लिखिए। (ii) लेखक ने समर्पण और प्राप्ति का कौन-सा अद्भुत स्वरूप देखा? (iii) प्रस्तुत गद्यांशा में लेखक ने किस भाव को व्यक्त किया है? (iv) लेखक ने किसके सम्बन्ध में विचार व्यक्त किया है? (v) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।


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ago by (20.6k points)

(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित एवं प्रसिद्ध रिपोर्ताज और संस्मरण लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित राबर्ट नर्सिंग होम में पाठ निबन्ध से अवतरित है। 

अथवा 

पाठ का नाम- राबर्ट नर्सिंग होम में। लेखक का नाम-श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।

(ii) लेखक ने समर्पण और प्राप्ति का यह अद्भुत सौम्य स्वरूप देखा कि कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाए और किसी का उत्सर्ग सदा किसी को पीड़ा के लिए ही सुरक्षित रहे।

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asked Aug 21, 2022 in Hindi by muskan5790 (35 points)

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