उच्च संचालकों और विभागीय अधिकारियों को दिया जानेवाला सैद्धांतिक और प्रायोगिक ज्ञान अर्थात् विकास
महत्त्व (Importance) : विकास का महत्त्व निम्न है :
- तकनिकी ज्ञान में वृद्धि : इकाई में अधिकारियों के पास बदलती हुई परिस्थिति में तकनिकी ज्ञान आवश्यक होता है । उनकी कामगीरी तकनिकी कार्यों के साथ संकलित होती है । जिससे विकास कार्यक्रमों द्वारा साधनों, पद्धतियों और टेक्नीकल ज्ञान का किस तरह उपयोग करना इसके बारे में मार्गदर्शन दिया जाता है, जिससे इकाई में वो सकारात्मक निर्णय लेने में सहायरूप होते है।
- नये संशोधन और ख्यालो से अवगत करना : अधिकारियों को नये-नये संशोधन तथा नवीन उत्पन्न ख्याल एवं विचारो की जानकारी देकर प्रशासकीय स्तर पर, वैचारिक शक्तियों और कार्य के बारे में गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है ।
- इकाई का विकास : वर्तमान में चालू धंधाकीय इकाई को नये परिवर्तन और व्यूहरचनाओं द्वारा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए विकास कार्यक्रमों का आयोजन जरूरी है ।
- साधनों का महत्तम उपयोग : विकास कार्यक्रम द्वारा इकाई के उपलब्ध समस्त साधनों का महत्तम उपयोग हो सकता है । इसके अलावा अनावश्यक खर्च में कमी करके लागत पर नियंत्रण रखकर लाभ में वृद्धि कर सकते है ।
- विविध समस्याओं का समाधान : संचालन के दौरान नई-नई समस्याएँ और प्रश्नों के शीघ्र और उचित समाधान हेतु विकास कार्यक्रम बहुत ही जरूरी है ।
- प्रभावशाली निरीक्षण : टेक्नीकल ज्ञान और वैचारिक शक्तियाँ प्राप्त अधिकारी ही इकाई की प्रवृत्तियों पर प्रभावशाली निरीक्षण रख सकते हैं । विकास के कार्यक्रम द्वारा यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।
- तनाव में कमी : इकाई के संचालन के लिए संचालक और अधिकारियों को चुनौतियाँ और समस्याओं का बार-बार सामना करना पड़ता है । योग्य निर्णय लेने में संकोच और तनाव महसूस करते है । इनमें कमी लाने के लिए विकास कार्यक्रम जरूरी है ।
- विकास कार्यक्रम : भविष्य में आनेवाली चुनौतियाँ और परिवर्तन को धंधे में समाविष्ट करने के लिए अधिकारियों को तैयार करने के लिए विकास कार्यक्रम जरूरी है ।