ग्राहक जागृति निम्न तरह से आ सकती है ।
1. लोक न्यायालय : बहुत सी औद्योगिक इकाइयाँ अपने ग्राहकों के योग्य शिकायतों के निराकरण के लिये लोक न्यायालय का आयोजन करते है । इस न्यायालय में ग्राहक अपने प्रश्नों की प्रस्तुती करते है और अधिकांशत: शिकायतों का हल ढूँढा जाता है । लोक न्यायालय द्वारा ग्राहकों की शिकायतों का निराकरण शीघ्र, कम खर्च पर और असरकारक होते है । जैसे BSNL, MTNL, भारतीय डाक व तार विभाग, रेल विभाग जैसी सार्वजनिक साहस की इकाइयाँ प्रतिवर्ष लोक न्यायालय का आयोजन करती है ।
2. सार्वजनिक हित का आवेदन (PIL – Public Interest Litigation) : प्रत्येक व्यक्ति स्वयं न्यायालय के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं होता है अथवा आर्थिक या समय को अभाव जैसे कारण भी जिम्मेदार होते है । कई मामले ऐसे होते है कि किसी एक व्यक्ति या व्यक्ति के समूह की अपेक्षाकृत समग्र समाज को प्रभावित करता है । जिस व्यक्ति या समूह को नुकसान हुआ हो वह अथवा कोई भी व्यक्ति सामान्य कागज पर एक अर्जी सीधी ही राज्य का उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) अथवा सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रिम कोर्ट) में कर सकता है । न्यायालय अर्जी (आवेदन) को पढकर योग्य लगे तो मुकदमा (केस) दाखिल करके उनके पक्षकारों को उपस्थित करवाकर सुनवाई करके उस अर्जी पर अपना निर्णय देती है ।
3. पर्यावरण संरक्षक उत्पाद (Eco-Friendly Products) : यदि औद्योगिक इकाई कम से कम प्रदूषण फैलाएँ और उत्पादन करे तो उनको भारत सरकार का पर्यावरण विभाग ‘इको मार्क’ लगाने की अनुमति देता है । ग्राहक ‘इको मार्क’ के उत्पादों का उपयोग करेंगे जिससे जो उद्योग पर्यावरण की सुरक्षा करते है उनको मददरूप बनते हैं । जैसे नहाने का पाउडर (detergent), कुछ खाद्य
पदार्थ, फर्नीचर, रंग आदि ।