प्रस्तावना : ग्राहकों को जितने अधिकार दिए हैं । उतनी ही प्रत्येक ग्राहक की जिम्मेदारी बनती है । अधिकार एवं जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक हैं । यदि ग्राहकों को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हो लेकिन ग्राहक अपनी जिम्मेदारी न समझे तो प्राप्त अधिकारों से ग्राहकों को रक्षण प्राप्त नहीं हो सकता अर्थात् अधिकारों की सुरक्षा हेतु जिम्मेदारी निभाना प्रत्येक ग्राहक का कर्तव्य बनता है ।
ग्राहकों की जिम्मेदारीयाँ : ग्राहकों की जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं :
(1) अधिकारों का उपयोग करना : ग्राहक के द्वारा वस्तु या सेवा की खरीदी करना महत्त्वपूर्ण पहलू है । परन्तु खरीदी करते समय अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए यह भी महत्त्वपूर्ण घटक है । इन अधिकारों का योग्य उपयोग भी करना चाहिए । अनेकों ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती अधिकारो का उपयोग करने से ग्राहक वर्ग अधिकारो से परिचित होते हैं । और ग्राहकों का शोषण होने से बचता है । जैसे पसंदगी का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार इत्यादि ।
(2) खरीदी से पहले जानकारी प्राप्त करना : ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पहले योग्य जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए वस्तु का उत्पादक, उत्पादक का पता, वजन, उपयोग की अंतिम तारीख, गेरंटी समय इत्यादि खरीदी करते समय व्यापारी के द्वारा ठगा न जाए इसका भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ।
(3) नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत करना : ग्राहक को नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत योग्य अधिकारी को करनी चाहिए यदि ग्राहकों के द्वारा शिकायत का आग्रह न किया जाए तो व्यापारी वर्गो को शोषण करने की आदत पडती है । कभी कभी ग्राहकों के द्वारा कम नुकसान के सामने अधिक रियायत प्राप्त करने की शिकायत की जाती है । यह योग्य नहीं है ।
(4) वस्तु की योग्य गुणवत्ता का आग्रह रखना : ग्राहक के द्वारा हमेशा योग्य गुणवत्ता वाली वस्तु ही खरीदनी चाहिए ग्राहक को मिलावट वाली वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए । वस्तु खरीदते समय ग्राहकों वस्तु के गुणवत्ता का प्रमाणपत्र एवं योग्य मार्क या निशानी की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए वस्तुओं योग्य गुणवत्ता की जानकारी हो सके इसलिए ISI एवं एगमार्क का उपयोग किया जाता है ।
(5) गलत विज्ञापनों से प्रभावित न हो : वस्तु बाजार में अनेकों उत्पादकों के द्वारा विविध वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है । प्रत्येक उत्पादक अन्य उत्पादकों के कर्ता अधिक वस्तु का विक्रय हो इसलिए ग्राहकों को प्रेरित करने हेतु द्विअर्थी भ्रम युक्त, गलत विज्ञापनों का सहारा लेते हैं । जैसे यह पानी पीने से शरीर में शक्ति एवं ताजगी आती है । कुछी ही क्षणों में मस्तिष्क का दर्द दूर, हमारा साबुन उपयोग करने से शरीर सुन्दर इत्यादि इन सभी विज्ञापनों से ग्राहक को प्रभावित नहीं होना चाहिए ग्राहक के द्वारा वस्तु का निरीक्षण एवं अन्य उत्पादक की वस्तु से तुलना करने के बाद ही खरीदी का निर्णय लेना चाहिए ।
(6) बीजक (बिल) लेने का आग्रह : प्रत्येक ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पश्चात् बिल लेने का आग्रह रखना चाहिए । नियम एवं कानून के अनुसार प्रत्येक व्यापारी को खरीदी के पश्चात ग्राहक वर्ग को बिल देना आवश्यक है । ग्राहक को खरीद की गई वस्तु नुकसानवाली है । इसकी शिकायत करनी है तो बिल आवश्यक है । यदि ग्राहक बिल लेने का आग्रह नहीं करता और वस्तु खराब या नुकसान वाली है तो वह अधिकारी को व्यापारी के विरोध में शिकायत भी नही कर सकता अत: ग्राहक के द्वारा खरीदी के पश्चात् बिल का आग्रह अवश्य रखना चाहिए ।
(7) ग्राहकवाद को फैलाना : ग्राहकों की संगठित चहल-पहल अर्थात् ग्राहकवाद । प्रत्येक ग्राहक को सुरक्षा समिति की स्थापना और संचालन में सक्रिय भाग लेना चाहिए और ग्राहकों में अधिकारों की जागृति लाने, हितों की सुरक्षा करने और आवश्यक ज्ञान मिले ऐसी व्यवस्था में सहभागी बनना चाहिए ।
(8) पर्यावरण का रक्षण : प्रत्येक ग्राहक को पर्यावरण सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण कार्य करना चाहिए । वस्तु के उपयोग के पश्चात् उनके कचरे का योग्य निकाल करना चाहिए तथा गन्दगी न फैलाना वह उनका प्राथमिक दायित्व है ।
(9) नीतिमत्ता के विरूद्ध की प्रवृत्ति में जुड़ना : जब ग्राहक वस्तु या सेवा की खरीदी करे तब उन्हें कानूनी मामलों का आग्रह रखना । चाहिए । काला बाजार, संग्रहकोरी आदि को उत्तेजन दे ऐसी किसी भी प्रवृत्ति में जुडना नहीं चाहिए ।
इस तरह उपरोक्त सभी जिम्मेदारियाँ/दायित्व ग्राहक निभायें वह ग्राहक के अधिकार भोगने के लिए प्रथम शर्त है ।