खातों का शेष ज्ञात करना (Process of finding out Khatani Baki (Balance) : खाते का शेष ज्ञात करने के लिये जमा और उधार पक्ष की रकम का सर्वप्रथम योग किया जाता है, यह योग दोनों पक्ष के तीसरे खाने में रख दिया जाता है । उसके बाद दोनों पक्ष के रकमों के योग के बीच अंतर ज्ञात किया जाता है । यह अंतर शेष कहलाता है । खाते में जिस पक्ष के रकम का योग कम हो उस तरफ अंतर की राशि से खाते का शेष लिखा जाता है ।
खाते में जिस पक्ष का योग अधिक हो उसे उस तरफ का शेष कहा जाता है । जैसे : जमा पक्ष का योग अधिक हो तो जमा शेष और उधार पक्ष का योग अधिक हो तो उधार शेष कहलाता है ।
जब खाते के उधार पक्ष का योग अधिक हो तब अंतर की राशि जमा पक्ष में लिखी जाती है और उसे विवरण के खाने में ‘बाकी लेना’ के रूप में लिखा जाता है उसी प्रकार जमा पक्ष का योग अधिक हो तब अंतर की राशि उधार पक्ष में लिखी जाती है और उसे विवरण के खाने में ‘बाकी देना’ के रूप में लिखा जाता है और अंत में दोनों पक्षों के योग के नीचे दो लीटी खींच दी जाती है । अगर खाते के दोनों पक्षों का योग एकसमान हो तब वह खाता सरभर कहलायेगा ।