संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का समान अधिकार प्राप्त है और बिना रोक-टोक के धर्म में विश्वास रखने धार्मिक कार्य करने तथा प्रचार करने का अधिकार है। सभी व्यक्तियों को धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता दी गई है। किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कर देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता जिसको इकट्ठा करके किसी विशेष धर्म या धार्मिक समुदाय के विकास को बनाए रखने के लिए खर्च किया जाना हो। किसी भी सरकारी संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। गैर सरकारी शिक्षा संस्थाओं में जिन्हें राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जिन्हें सरकारी सहायता प्राप्त होती है किसी विद्यार्थी को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने या धार्मिक पूजा पाने में सम्मिलित होने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।