देसी रियासतों के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका- सरदार वल्लभ भाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख नेता थे। पटेल को ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् रियासतों का भारत में विलय करना सरल कार्य नहीं था। इस कार्य में प्रमुख बाधा थी-जिन्ना द्वारा स्वयं को पूर्ण स्वतंत्र करना व. भारत तथा पाकिस्तान दोनों से सम्बन्ध रखना। परन्तु सरदार पटेल ने असाधारण योग्यता का परिचय दिया। 5 जुलाई, 1947 ई. को सरदार पटेल की अध्यक्षता में ‘स्टेट विभाग’ की स्थापना की गयी। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री की हैसियत से पटेल ने सबसे पहले 565 रजवाड़ों का भारत संघ में विलय करना ही अपना पहला कर्त्तव्य समझा।
सरदार पटेल ने देखा कि 565 राज्यों में से 100 राज्य प्रमुख थे, जैसे हैदराबाद, कश्मीर, बड़ौदा, ग्वालियर, मैसूर आदि। सरदार पटेल के प्रयासों से शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से लगभग समस्त रियासतें जिनकी सीमाएँ स्वतंत्र भारत की नयी सीमाओं से मिलती थीं, 15 अगस्त 1947 से पहले ही भारतीय संघ में सम्मिलित हो गए। अधिकांश रियायतों के शासकों ने भारतीय संघ में अपने विलय के एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस सहमति पत्र को ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन’ कहा गया। जूनागढ़, हैदराबाद व कश्मीर की रियासतों का भारत में विलय करने के लिए सरदार पटेल को सेना की सहायता भी लेनी पड़ी। जूनागढ़ गुजरात के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित एक छोटी सी रियासत थी।
इस रियासत की जनता मुख्यतः हिन्दू थी तथा इसका नबाव मुसलमान था। वह पाकिस्तान में मिलना चाहता था जबकि जनता भारत में। सरदार पटेल ने नबाव पर जनमत संग्रह कराने का दबाव डाला। नबाव द्वारा असहमत होने पर सरदार पटेल ने सेना की सहायता से जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय कराया। हैदराबाद भारत के दक्षिण में स्थित एक विशाल राज्य था। यहाँ का शासक जिसे निजाम कहा जाता था, वह आजाद रियासत का दर्जा चाहता था। जनता निजाम के अत्याचारी शासन से परेशान थी। वह भारत में मिलना चाहती थी। सरदार पटेल के प्रयासों से निजाम को आत्मसमर्पण करना पड़ा और यह रियासत भी भारत में सम्मिलित हो गयी।
इसी प्रकार कश्मीर का भारत में विलय हुआ। यहाँ का हिन्दू शासक भारत में शामिल नहीं होना चाहता था। उसने अपने स्वतंत्र राज्य के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ समझौता करने की कोशिश की। पाकिस्तान के घुसपैठियों से परेशान होकर यहाँ के शासक ने भारत से मदद माँगी और भारत संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए। इस प्रकार पटेल के प्रयासों से इन रियासतों का भारत संघ में विलय हुआ। इसके अलावा सरदार पटेल ने रियासतों से अपील की कि वे भारत की अखण्डता को बनाए रखने में उनकी सहायता करें। इस प्रकार सभी रियासतों का भारत में विलय कराने में सरदार पटेल सफल रहे। यह उनकी असाधारण उपलब्धि थी, जिसने भारत की अखण्डता की रक्षा की।