नाना साहिब पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी थे। 1 जुलाई 1857 को जब कानपुर से अंग्रेजों ने प्रस्थान किया तो नाना साहिब ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की तथा पेशवा की उपाधि धारण की। नाना साहिब का अदम्य साहस कभी भी कम नहीं हुआ और उन्होंने कानपुर में क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया। फतेहपुर और आंग आदि स्थानों पर इनके दल और अंग्रेजों के मध्य भीषण युद्ध हुए।