निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए –
हिमालय के आँगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार। उषा ने हँस अभिनन्दन किया और पहनाया हीरक हार। जब हम लगे जगाने विश्व लोक में फैला फिर आलोक। तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक। विमल वाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
सप्तस्वर सप्तसिन्धु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत। बीज रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय की शीत। अरुण केतन लेकर निज हाथ वरुण-पथ में हम बढ़े अभीत। सुना है दधीचि का वह त्याग हमारा जातीयता विकास। पुरंदर ने कवि से है लिखा, अस्थि-युग का मेरा इतिहास। विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर घूम। भिक्षु होकर रहते सम्राट दया दिखलाते घर-घर घूम।
यवन को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि। मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि। किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं।
हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आये थे नहीं।
(i) हिमालय का आँगन जहाँ सूर्य की पहली किरणें आती हैं, वह है-
(अ) आर्य देश भारत
(ब) वर्मा
(स) एशिया
(द) हिमालय का मैदानी भाग।
(ii) ‘सप्त स्वर सप्त सिन्धु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत।” पंक्ति का आशय है-
(अ) सात सागरों में सात स्वरों का मधुर संगीत बज उठा
(ब) सात सागरों ने मिलकर सात स्वरों की उत्पत्ति की
(स) भारतवर्ष में ही सर्वप्रथम संगीत के वेद ‘सामवेद’ की रचना हुई
(द) साम-संगीत सात स्वरों में सागरों के तट पर बजा था।
(iii) ‘किसी का हमने छीना नहीं प्रकृति का रहा पालना यहीं’ से कवि क्या कहना चाहता है
(अ) भारत आर्यों का आदि देश है, हम बाहर से नहीं आए
(ब) प्रकृति का पालना यहीं पर था कहीं से छीनकर नहीं लाए
(स) प्रकृति यहाँ पलकर विकसित हुई है कहीं बाहर से नहीं आई
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
(iv) ‘उजाला’ शब्द का समानार्थक शब्द काव्यांश से चुनिए
(अ) आलोक
(ब) ऊषा
(स) विश्व-लोक
(द) अरुण केतन।
(v) इस पद्यांश का उचित शीर्षक निम्न विकल्पों से चुनिए
(अ) भारतवर्ष के विश्व को अनुदान
(ब) भारत देश
(स) आदि देश भारत
(द) स्वर्ण-भूमि।
(vi) यवन को दिया दया का दान। पंक्ति में अलंकार है
(अ) यमक
(ब) उपमा
(स) अनुप्रास
(द) उत्प्रेक्षा।