Cu+(aq) से Cu2+(aq) अधिक स्थायी होता है। क्योंकि कॉपर की द्वितीय आयनन ऊर्जा का मान अधिक होता है। परन्तु Cu2+(aq) के लिए (∆Hजलयोजन) जलयोजन एन्थैल्पी का मान Cu+(aq) की तुलना में अधिक ऋणात्मक होता है, इसलिए जलयोजन एन्थैल्पी कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से होने वाली क्षति की पूर्ति कर देती है। अतः अनेक कॉपर (I) यौगिक जलीय विलयन में अस्थायी होते हैं तथा निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार असमानुपातन प्रदर्शित करते हैं।
2Cu+(aq) → Cu2+(aq) + Cu(s)
एवं Cu2+ उपर्युक्त कारणों से अत्यधिक स्थायी हो जाता है।