ल्यूकास परीक्षण- यह प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभेद करने की अत्यन्त सरल विधि है। यह भिन्न-भिन्न ऐल्कोहॉलों की ल्यूकास अभिकर्मक (सान्द्र HCl + निर्जल ZnCl2) के प्रति भिन्न-भिन्न गति से अभिक्रिया करने पर आधारित है। किसी ऐल्कोहॉल में ल्यूकास अभिकर्मक मिलाने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं जिससे धुंधलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार,

- कमरे के ताप पर तृतीयक ऐल्कोहॉल तुरन्त धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
- कमरे के ताप पर द्वितीयक ऐल्कोहॉल 5-10 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
- कमरे के ताप पर प्राथमिक ऐल्कोहॉल धुंधलापन उत्पन्न नहीं करते हैं, अतः विलयन पारदर्शक होता है।