भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं-
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के खिलाफ अधिकार
- धर्म स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
1. समानता का अधिकार- इसका अर्थ है कि संविधानतः भारत में जाति, वर्ण, जन्म, नस्ल, लिंग, जन्म स्थान आदि आधार पर राज्य किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। सभी व्यक्तियों को वैधानिक नागरिकता और सामाजिक क्षमता प्रदान की गई है। निम्नलिखित क्षेत्रों में समानता का उल्लेख संविधान में किया गया है- (अ) कानून के समक्ष समानता (ब) सामाजिक समानता (स) आर्थिक समानता (द) अस्पृश्यता की समाप्ति (ई) उपाधियों की समाप्ति
2. स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 19 के अनुसार भारत के नागरिकों को निम्नलिखित सात स्वतंत्रताएँ दी गई हैं
(i) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता- भारत के सभी नागरिकों को विचार प्रकट करने, भाषण देने और अपने तथा अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता प्राप्त है। इस स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित है।
(ii) अस्त्र-शस्त्र रहित तथा शान्तिपूर्वक सम्मलेन की स्वतंत्रता- शांतिपूर्ण और बिना किसी शस्त्रों के सभा, जुलूस या प्रदर्शन आयोजित किए जा सकते हैं।
(iii) समुदाय और संघ निर्माण की स्वतंत्रता- संविधान ने सभी नागरिकों को समुदायों और संघ के निर्माण की स्वतंत्रता दी है, परन्तु यदि ये जनहित के विरुद्ध हों, तो इन पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। ऐसे समुदायों के निर्माण की स्वतंत्रता नहीं दी जाती, जिनसे शान्ति और व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो जाए या जो राष्ट्र विरोधी हों।
(iv) अबाध भ्रमण की स्वतंत्रता- भारत के सभी नागरिक बिना किसी प्रतिबन्ध या अधिकार पत्र के समस्त देश में घूम-फिर सकते हैं। देश की सुरक्षा की दृष्टि से इस स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं, जैसे जो स्थान सैनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हों वहाँ बिना अधिकार-पत्र के प्रवेश की आज्ञा नहीं दी जाती।
(v) वृत्ति, उपजीविका या कारोबार की स्वतंत्रता- संविधान ने सभी नागरिकों को अपनी नौकरीव्यवसाय आदि चुनने की स्वतंत्रता प्रदान की है। इस स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबन्ध हैं, जैसे किन्हीं व्यवसायों के लिये राज्य द्वारा न्यूनतम योग्यताएँ निर्धारित करना, किसी व्यवसाय को पूर्ण या आंशिक रूप से सरकार द्वारा अपने हाथ में लेना आदि।
(vi) भारत में अबाध निवास की स्वतंत्रता - भारत के सभी नागरिक अपनी इच्छानुसार स्थायी या अस्थायी रूप से भारत के किसी भी स्थान पर बस सकते हैं। इस स्वतंत्रता पर भी जनहित तथा अनुसूचित जातियों के हित में प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
(vii) सम्पत्ति के अर्जन, धारण तथा व्यय की स्वतंत्रता- संविधान ने नागरिकों को व्यक्तिगत सम्पत्ति के अर्जन, धारण तथा व्यय की स्वतंत्रता दी है, परन्तु राज्य सर्वसाधारण तथा अनुसूचित जनजातियों के हित में इस अधिकार पर उचित प्रतिबन्ध लगा सकता है।