द्वन्द्व विक्षोभ या तनाव की वह स्थिति है जो विचारों, इच्छाओं, प्रेरणाओं, आवश्यकताओं अथवा उद्देश्यों के परस्पर विरोध के फलस्वरूप उत्पन्न होती है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ब्राउन ने द्वन्द्व को परिभाषित करते हुए कहा है कि “मनोविश्लेषकों के अनुसार मानसिक संघर्ष या द्वन्द्व का अर्थ व्यक्ति की उस परिस्थिति से है जिसमें दो ऐसी इच्छाएँ जो एक-दूसरे की इतनी विरोधी होती हैं कि उनमें से किसी एक की पूर्ति होने पर दूसरी इच्छा की पूर्ति सम्भव नहीं होती है।”
परिभाषा से स्पष्ट है कि द्वन्द्व की स्थिति व्यक्ति के लिए एक अति गम्भीर दुविधा की स्थिति होती है। इसमें उसके लिए प्रायः कोई निर्णय लेना अति कठोर व मुश्किल तथा पीड़ादायक हो जाता है। तब स्वभावतः ऐसी स्थिति में वह प्रतिबल/दबाव की अनुभूति करने लगता है।