सामाजिक आन्दोलन के विषय में छात्र स्वयं सोचें। इसके लिए छात्र कोई भी आन्दोलन ले सकते हैं जैसे जनजातीय आन्दोलन, महिला आन्दोलन, दलित आन्दोलन इत्यादि।
अधिकतर सामाजिक आन्दोलनों में लोग हानि या लाभ के विषय में सोचकर अथवा व्यक्तिगत लाभ के विषय में तर्कसंगत गणना करके सम्मिलित नहीं होते हैं। चूँकि सामाजिक आन्दोलन सामूहिक प्रयास होते हैं, इसलिए इनसे कोई व्यक्ति विशेष लाभान्वित न होकर पूरा समूह या समुदाय होता है। उदाहरण के लिए महिला आन्दोलन किसी विशेष वर्ग की महिलाओं के लिए लाभकारी नहीं रहे हैं, बल्कि सभी महिलाओं को इससे लाभ हुआ है । जो महिलाएँ इन आन्दोलनों में अग्रणी रही हैं अथवा नेतृत्व प्रदान करती रही हैं, उनका उद्देश्य भी किसी प्रकार का अपना व्यक्तिगत लाभ न होकर सम्पूर्ण महिला जाति का उत्थान रहा है।