सामाजिक आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का जन्म किसी संकट या समस्या के कारण ही होता है।
- किसी भी आंदोलन को सामाजिक आंदोलन उसी समय कहा जाएगा जब उसमें समाज के अनेक व्यक्ति सम्मिलित हों।
- प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का एक अनौपचारिक संगठन होता है। इस संगठन के द्वारा ही आंदोलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनायी जाती है।
- सामाजिक आंदोलन में परिवर्तन की एक निश्चित दिशा होती है।
- सामाजिक आंदोलन के कुछ निश्चित उद्देश्य होते हैं, जिन्हें पाने के लिए आंदोलन किया जाता है।
- प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का कोई न कोई नेता अवश्य होता है, उसके अभाव में आंदोलन चल नहीं सकता।
- कोई भी आंदोलन एक निर्मित वस्तु नहीं होता वरन् उसका धीरे – धीरे विकास होता है।
- सामाजिक आंदोलन के लिए निश्चित योजना बनायी जाती है और विभिन्न चरणों में उसे पूरा करने का सामूहिक प्रयास किया जाता है।
- सामजिक आंदोलन की प्रकृति प्रचलित समाज व्यवस्था अथवा संस्कृति में पूर्ण या आंशिक सुधार लाना होता है। जब पुरानी
- व्यवस्था में दोष उत्पन्न हो जाते हैं, तो उसमें परिवर्तन एवं सुधार लाना आवश्यक हो जाता है, तब सामाजिक आंदोलन का मार्ग अपनाया जाता है।
- प्रत्येक सामाजिक आंदोलन के पीछे एक विचारधारा या वैचारिकी होती है। यह मूल्यों एवं प्रकृति का एक ऐसा योग होता है
- जिसमें मानव के भूतकाल के अनुभव निहित होते हैं व इसका प्रयोग वह वर्तमान की किसी घटना की व्याख्या करने अथवा उसे उचित सिद्ध करने के लिए करता है।