डेटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम (DBMS)
डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम के प्रमुख तत्वों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
1. डेटाबेस (Data Base) – एक संग्रहित किए हुए आँकड़ों का एक समूह है जो एक-दूसरे से आपस में सम्बन्धित होते हैं, जिनके द्वारा निश्चित सूचनाओं का निर्माण किया जाता है। उदाहरण के लिए; एक स्कूल के सभी विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा में अर्जित किए गए अंक एक डेटाबेस हैं । इन आँकड़ों के माध्यम से हम प्रथम श्रेणी,द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले कुल विद्यार्थियों की गणना कर सकते हैं। इसी प्रकार किसी एक कक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों की गणना भी की जा सकती है। उपर्युक्त डेटा में विद्यार्थियों की कक्ष में उपस्थिति आदि की गणना भी की जा सकती है। डेटाबेस के माध्यम से डी. बी. एम. एस. प्रोसेसिंग सिस्टम अग्र कार्य करता है
- समंकों का संग्रहण (Data Collection)
- समंकों का सम्पादन (Data Editing)
- समंकों का परिचालन (Data Manipulation)
- समंकों का भण्डारण (Data Storage)
- समंकों की समीक्षा (Data Analysis)
- प्रक्षेपण (Output)।
2. प्रशासक (Administrator) – DBMS को संचालित करने का उत्तरदायित्व प्रशासक का होता है। ये प्रोफाइल का निर्माण करते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उपयोगकर्ता करते हैं। उदाहरण के लिए, जिसे किसी स्कूल के विद्यार्थियों को डेटा का उपयोग, विद्यार्थी, अध्यापक एवं स्कूल प्रशासन द्वारा किया जा सकता है इसके लिए डी. बी. एम. एस. प्रशासक तीन प्रकार के अलग-अलग प्रोफाइल बना सकता है। विद्यार्थी का प्रोफाइल, अध्यापकों का प्रोफाइल, स्कूल प्रशासन का प्रोफाइल/डेटा की सुरक्षा की दृष्टि से यह निश्चित किया जाता है कि कौन-सा डेटा किस उपयोग में लाने की छूट दी जाए। जैसे एक विद्यार्थी उसकी कक्षा में कुल उपस्थिति देख सकता है एवं वह किसी दूसरे विद्यार्थी की भी उपस्थिति देख सकता है। किन्तु वह किसी अन्य विद्यार्थी के अंक नहीं देख सकता।
3. डेटा (Data) – डेटा किसी भी प्रकार की सूचना हो सकती है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर के माध्यम से एक सूचीबद्ध तरीके से काम में लिया जाता है। इस प्रकार के डेटा एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं, जैसे नाम, रोल नं., पता, शहर, जिला आदि एक प्रकार का डेटा है । एक व्यावसायिक संस्था में क्रय-विक्रय, लाभ-हानि, व्यय आदि एक प्रकार का डेटा है, जो एक-दूसरे से सम्बन्धित है। फोन बुक में उपलब्ध नम्बर, बैंक के खाते, फैक्ट्री में कार्य करने वाले मजदूरों के नाम एवं किताबों की सूची आदि कुछ डेटा के उदाहरण हैं।
4. सॉफ्टवेयर (Software) – किसी न किसी प्रकार की सूचनाओं डेटा का प्रबन्धन सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर डेटा को स्टोर करना, प्रोसेस करना, सॉफ्टवेयर मेन्युक्ल बनाने आदि का कार्य करता है। उदाहरण के लिए–एम. एस. एक्सेस, एम. एस. एक्सल।
5. यूजर इन्टरफेस (User Interface) – उपयोगकर्ता से सम्बन्ध स्थापित करने वाले स्क्रीन्स को तैयार करना, जिसको उपयोगकर्स, देखेगा, जिससे यूजर सम्बन्ध स्थापित करेगा और अपने कुछ आँकड़ों को इनपुट करेगा या कुछ आउटपुट देखना चाहेगा । जैसे पुस्तकालय के लिए कोई सॉफ्टवेयर बनाना है। इस सिस्टम को यूज करने वाले उपयोगकर्ता, पुस्तकालय विद्यार्थी आदि को जो स्क्रीन दिखेगी, जिस पर वह काम करेगा, उसे हमें यूजर इंटरफेस कहते हैं। उस सम्बन्ध के माध्यम से प्रशासक को यह ज्ञात होगा कि वह क्या-क्या काम कर सकता है, जैसे - उसे डेटा कहाँ फिट करना है, कहाँ क्लिक करना है, पिछली स्क्रीन पर कैसे आना है आदि।
6. डेटा प्रोसेसिंग (Data Processing) – यूजर इंटरफेस के द्वारा कम्प्यूटर को दी गई जानकारी के आधार पर उपयोगकर्ता आउटपुट निकालना चाहता है। पहले से प्रोग्राम की गई सूचनाओं के आधार पर सिस्टम आउटपुट निकालता है। इस पूरी प्रक्रिया को डेटा प्रोसेसिंग कहते हैं। यह डेटा मेनिपुलेशन की प्रक्रिया है।
7. फाइल हैंडलिंग प्रोग्राम्स (File Handling Programmes) – इसके माध्यम से हम डेटा को संग्रहण करके रखते हैं। नई फाइल हूँढ़ना, फाइल बनाना एवं फाइल को मैनेज करने का कार्य इस प्रोग्राम के माध्यम से किया जाता है। यह डेटा के स्टोर करने की एक प्रक्रिया है। स्टोरेज में हमारी एप्लीकेशन से सम्बन्धित सारा डेटा रखा हुआ होता है। यहीं से आवश्यकतानुसार आँकड़ों को लिया जाता है।