चोल शासकों ने अपने शासन काल में स्थापत्य कला को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया। उन्होंने विशाल राज प्रासाद, कृत्रिम झीलें, विस्तीर्ण बाँध, सुन्दर नगर, धातु एवं पाषाण की मूर्तियों तथा भव्य मन्दिरों का निर्माण करवाया। इस काल में मंदिरों का निर्माण द्रविड़ शैली के अन्तर्गत हुआ। उनके द्वारा निर्मित मन्दिरों की मुख्य विशेषताएँ विशाल व वर्गाकार विमान, मध्य में विस्तृत आँगन, अलंकृत गोपुरम्, मण्डप, अन्तराल, सजावट के लिए पारम्परिक सिंह ब्रेकेट तथा संयुक्त स्तम्भों का प्रयोग आदि हैं। चोलकालीन प्रारम्भिक मन्दिरों में तिरुकट्टलाई का सुन्दरेश्वर मंदिर, नरतमलाई का विजयालय चोलेश्वर मंदिर प्रसिद्ध हैं। राजराज का वृहदेश्वर राजेन्द्र प्रथम का गंगैकोण्डचोलपुरम तथा कोरंगनाथ, ऐरातेश्वर, त्रिभुवनेश्वर आदि अन्य प्रमुख मंदिर हैं।