‘गजनी का गवर्नर नियुक्त होने के बाद मुहम्मद गौरी ने 1175 ई. में मुल्तान का आक्रमण कर अधिकार कर लिया। इसके बाद उसने गुजरात, सियालकोट और लाहौर के युद्धों में विजय हासिल कर अपनी शक्ति का परिचय दिया। राजस्थानी स्रोतों के अनुसार इस दौरान उसकी पृथ्वीराज चौहान के साथ अनेक बार लड़ाइयाँ हुईं और हर बार उसे पराजय का सामना ही करना पड़ा। पृथ्वीराज रासो में 21 तथा हम्मीर महाकाव्य में सात बार गौरी पर पृथ्वीराज की विजयों का दावा किया गया है।
दोनों के बीच दो निर्णायक युद्ध हुए। 1191 ई. में लाहौर से रवाना होकर मुहम्मद गौरी तबरहिन्द नामक स्थान पर अधिकार करते हुए तराइन तक पहुँच गया। यहाँ दोनों पक्षों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें पृथ्वीराज चौहान के दिल्ली सामंत गोविन्दराज ने अपनी बर्थी के वार से मुहम्मद गौरी को घायल कर दिया। घायल गौरी अपनी सेना सहित गजनी भाग गया। पृथ्वीराज ने तबरहिन्द पर अधिकार कर काजी जियाउद्दीन को बंदी बना लिया जिसे बाद में एक बड़ी धनराशि के बदले रिहा कर दिया गया।