स्वतन्त्रता के पश्चात् 1950 से 1970 के बीच के समय में नारी संगठन देश के विभिन्न भागों में स्थापित हुए। नारी आन्दोलन से जुड़े मुद्दे थे-जीविका वृत्ति तथा परिवार में नारियों की स्थिति।
1. हिन्दू कोड बिल पर नारी आन्दोलन: सन् 1950 में नारी आन्दोलन के कार्यकर्ताओं ने हिन्दू कोड बिल पर विवाद शुरू किया। सरकार ने एक समिति नियुक्त की जिसने हिन्दू कोड बिल पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत र्की । डॉ. अम्बेडकर ने भी नारीवादियों के साथ सहयोग किया किन्तु काँग्रेस के विरोध के कारण यह बिल पारित नहीं हो सका। अन्ततः 1956 में यह पारित हो सका।
2. ताड़ी विरोधी आन्दोलन: ताड़ी विरोधी आन्दोलन आन्ध्रप्रदेश के नेल्लौर जिले के गाँव दुबरगंटा में सन् 1990 में महिलाओं द्वारा चलाया गया। गाँव के पुरुषों को शराब की गहरी लत लग गयी। इसके कारण वे शारीरिक व मानिसक रूप से ही कमजोर हो गए थे। शराबखोरी में क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हो रही थी। शराबखोरी के बढ़ने से कर्ज का बोझ भी बढ़ गया। पुरुष अपने काम से लगातार अनुपस्थित रहने लगे।
यहाँ परेशान होकर महिलाएँ ताड़ी (शराब) की बिक्री के खिलाफ आगे आर्मी व उन्होंने शराब की दुकानों को बंद कराने के लिए दबाव बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह समाचार तेजी से फैला और लगभग 5000 गाँवों की महिलाओं ने आन्दोलन में सहभागिता करना प्रारम्भ कर दिया। नेल्लौर जिले का यह आन्दोलन धीरे-धीरे सम्पूर्ण राज्य में फैल गया। यह आन्दोलन शराब के ठेकेदारों व सरकार के खिलाफ था।