कविता के बहाने' कविता में कवि ने कविता-रचना को बच्चों के खेल के समान बताया है। कवि बच्चों की खेल-क्रीडा को देख कर शब्द-क्रीडा करता है। आशय है कि बच्चे विभिन्न उनके खेलों का संसार असीमित एवं व्यापक है। उसी प्रकार कवि भी शब्दों के द्वारा नये-नये भावों एवं मनोरम कल्पनाओं के खेल खेलता है।
जिस प्रकार बच्चे खेल खेलते हुए सभी के घरों में समान रूप से खेल खेलते हैं और अपने-पराये का भेदभाव नहीं रखते उसी प्रकार कविता में भी शब्दों का खेल होता है। कवि शब्दों द्वारा आन्तरिक बाह्य भाव विचारों को, अपने-पराये सभी लागों के मनोभावों को कलात्मक अभिव्यक्ति देता है। वह सभी को समान मानकर सार्वकालिकं भावों को वाणी देता है।