अवधूत सर्दी, गर्मी, सुख, दु:ख आदि सभी स्थितियों में निश्चिन्त रहता है। वह फक्कड़ और मस्त बना रहता है तथा उस पर विपरीत परिस्थितियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। उसी प्रकार जब गर्मी तथा लू से सारा संसार सन्तप्त रहता है, तब भी शिरीष लहलहाता रहता है। इसी कारण उसे अद्भुत अवधूत कहा है।