शिरीष के फूलों को देखकर लेखक को उन नेताओं की याद आती है, पुरानी पीढ़ी के उन लोगों की याद आती है, जो पद-लिप्सा और अधिकार-लिप्सा रखते हैं, जो जमाने का रुख नहीं पहचानते हैं और नयी पीढ़ी के लोग जब तक उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।