(i) द्रव-स्नेही सॉल बनाने की विधि(Methods of Preparation of Lyophilic Sols) – द्रव-स्नेही कोलॉइडी पदार्थों की परिक्षेपण माध्यम के प्रति बन्धुता उच्च होती है अतः ऐसे पदार्थ को विलायक के सम्पर्क में लाने के बाद उन्हें अच्छी तरह से मिलाने पर कोलॉइडी विलयन प्राप्त हो जाता हैं।
उदाहरणार्थ – स्टार्च, गोंद, जिलेटिन, अगर-अगर (Agar-Agar), प्रोटीन इत्यादि।
(ii) इव-विरोधी सॉल बनाने की विधि (Methods ofPreparation of Lyophobic Sols)
इनके निर्माण के लिए विशेष विधियाँ अपनानी होती हैं –
(a) पदार्थ के बड़े कणों को तोड़कर कोलॉइड आकार का बनाना इसे परिक्षेपण विधि (Dispersion Method) कहते हैं।
(b) पदार्थ अथवा आण्विक आकार के कणों को संयोजित कर कोलॉइड आकार का बनाना। इसे संघनन विधि (Condensation Method) कहते हैं।