(a) परती भूमि नियमावली
उत्तर: अंग्रेजों को लगता था कि परती भूमि का सदुपयोग नहीं हो रहा था। सदुपयोग से उनका मतलब था जमीन पर खेती और जमीन से मालगुजारी की वसूली। इसे सुनिश्चित करने के लिए परती भूमि नियमवाली लागू हुई। अब परती भूमि को कुछ लोगों को दे दिया गया और उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे चरागाह कम होने लगे और चरवाहों के जीवन पर बुरा असर पड़ा। ,
(b) वन अधिनियम
उत्तर: इंगलैंड में जहाज बनाने और रेल लाइन बिछाने के लिए लकड़ी कम पड़ रही थी। भारत के वनों में लकड़ी बहुतायत में थी। भारत की लकड़ी का इस्तेमाल करने के उद्देश्य से वन अधिनियम लागू किया गया। इस नियम के तहत वनों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया, आरक्षित, सुरक्षित और ग्रामीण। आरक्षित वनों में चरवाहों का जाना बंद कर दिया गया। सुरक्षित वनों में जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती थी और चरवाहों की गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाती थी। इस नियम से भी चरागाह कम होने लगे और चरवाहों की परेशानी बढ़ गई।
(c) अपराधी जनजाति अधिनियम
उत्तर: अंग्रेजों हमेशा घुमंतू समुदायों को शक की दृष्टि से देखते थे। उन्हें लगता था कि इस तरह के लोग जन्मजात अपराधी होते हैं। ऐसे लोगों पर नियंत्रण करने के लिए अपराधी जनजाति अधिनियम लागू किया गया। अब कई समुदायों को अपराधी जनजाति की श्रेणी में रख दिया गया। ऐसे लोगों को कुछ चुने हुए गाँवों में ही रहने को कहा गया। इससे चरवाहों के मौसमी आवागमन पर बुरा असर पड़ा। एक ही जगह पर लगातार रुकने से चारे की किल्लत होने लगी। कई मवेशी भुखमरी का शिकार हो गये।
(d) चराई कर
उत्तर: अंग्रेज टैक्स वसूलने के लिए हर संभव स्रोत की तलाश में रहते थे। इसलिए चराई कर लागू किया गया। चरवाहों से प्रति मवेशी के दर से टैक्स वसूला जाने लगा। इससे चरवाहों की आय पर बुरा असर पड़ा।