कवि देश के सपूतो से कहते है की देश स्वतत्र हो चुका है | अब तुम्हे देश का नवनिर्माण करना है | स्वतत्रता का लाभ जान-जान तक पहुचाना है | देशवासी तुमसे बड़ी-बड़ी आशाए रखते है | तुम उन्हें निराशा नहीं करना है | तुम्हे लोगो में नए प्राण फूकने है | विकास नए रास्ते खीझकर तुम्हे देश का पिछड़ापन दुयरा करना है |