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r RNA Mein R kya haiimage

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1. (क) एक ही पादप के एक पुष्प के परागकणों का दूसरे पुष्प के वर्तिकान तक का स्थानान्तरण कहलाता है

(A) स्वयुग्मन

(B) सजातपुष्पी परागण

(C) परनिषेचन

(D) अनुन्मील्य परागण

उत्तर:

(B) सजातपुष्पी परागण

(ख) ऐग्नियोटिक द्रव की कोशिकाओं में निम्न में से किसकी उपस्थिति से भ्रूणीय शिशु का लिंग निर्धारण होता है-

(A) बार-पिण्ड

(B) लिंग गुणसूत्र

(C) काइएज्मेटा

(D) प्रतिजन

उत्तर:

(A) बार-पिण्ड

(ग) DNA खण्डों की पहचान करते हैं- 

(A) नॉर्दर्न ब्लोटिंग से

(B) सर्दन ब्लोटिंग से

(C) वेस्टर्न ब्लोटिंग से

(D) इनमे से सभी

उत्तर:

(B) सर्दन ब्लोटिंग से

(घ) जीनी इंजीनियरिंग में जैविक कैंची का कार्य करने वाला एन्जाइम है-

(A) लाइगेज

(B) न्यूक्लिएज

(C) पॉलिमरेज

(D) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज

उत्तर:

(D) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज

2. (क) rDNA में r क्या है?

उत्तर:

Recombinant DNA

(ख) बायोपाइरेसी क्या है? 

उत्तर:

बहुराष्ट्रीय कंपनियों व दूसरे संगठनों द्धारा किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना बायोपाइरेसी कहलाता है।

(ग) खाहा जाल क्या है?

उत्तर:

खाद्य श्रृंखलाओं की जुड़ी हुई व्यवस्था खाद्य जाल कहलाती है। इसमें किसी जीव का कार्य निश्चित नहीं होता। एक खाद्य श्रृंखला में कोई जीव 'शिकार' के रूप में हो सकता है तथा दूसरी खाद्य श्रृंखला में वही जीव 'शिकारी' के रूप में हो सकता है। उदाहरण मेंढक, साँप आदि।

(घ) वृषण जालिका क्या है?

उत्तर:

वृषण जालिका- शुक्रजन नलिकाएँ वृषण की भीतरी सतह पर नलिकाओं के एक घने जाल में खुलती हैं। इसे वृषण जालिका कहते हैं। इससे 5-20 शुक्रवाहिकाएँ निकलकर ऐपिडिडिमिस नलिका (epididymis duct) में खुलती हैं। एपिडिडिमिस या अधिवृषण के अन्तिम भाग से शुक्रवाहिनी (vas deferens) निकलती है।

(ड़) बैक क्रॉस से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:

F1 संतति का किसी भी जनक अर्थात् शुद्ध प्रभावी या शुद्ध अप्रभावी जनक से संकरण बैक क्रॉस (back cross) कहलाता है।

3. (क) R.N.A. तथा D.N.A. अथवा न्यूक्लियोटाइड्स में कौन-सी पेन्टोस शर्करा पायी जाती है?

उत्तर:

R.N.A. में राइबोस (rihose) तथा D.N.A. में डिऑक्सीराइबोस (deoxyribose) शर्करा पायी जाती है।

(ख) सक्रिय व निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर लिखिए ?

उत्तर:

सक्रिय प्रतिरक्षा- किसी परपोषी के शरीर में प्रतिजन (एंटीजेंस) के पहुंचने पर प्रतिरक्षी पैदा होते हैं तो इसे सक्रिय प्रतिरक्षा कहते हैं।

निष्क्रिय प्रतिरक्षा- जब शरीर की रक्षा के लिये बने बनाए प्रतिरक्षी सीधे ही शरीर को दिये जाते हैं तो यह निष्क्रिय प्रतिरक्षा (पैसिव इम्युनिटी) कहलाती है।

(ग) औद्योगिक उत्पादन में सूक्ष्म जीवों के महत्त्व का उदाहरण सहित स्पष्ट वर्णन कीजिए।

उत्तर:

सूक्ष्मजीवों का उपयोग अनेक प्रकार के औद्योगिक उत्पाद जैसे कार्बनिक अम्ल (organic acids), एन्जाइम (enzyme) जैव सक्रिय अणु (Bioactive substance), ऊर्जा स्त्रोत एथेनॉल,शराब, बेकरी (Bakery) डेरी उद्योग (Dairy) तथा औषधि निर्माण (Pharmaceuticals) में किया जाता है। सिट्रिक अम्ल का उत्पादन ऐस्पर्जिलस नाइगर नामक कवक से, ऐसीटिक अम्ल का उत्पादन ऐसीटोबैक्टर एसिटी जीवाणु से, लैक्टिक अम्ल का उत्पादन लैक्टोबैसिलस से तथा ब्यूटिरिक अम्ल का उत्पादन क्लॉस्ट्रीडियम ब्यूटायलिकम नामक जीवाणु से होता है।

बाजार से लाए जाने वाले फलों के रस में पेक्टिनेजिज (pectinases) तथा प्रोटिएजिज (proteases) के प्रयोग के कारण बोतल वाला रस घर में तैयार किए गए रस से अधिक स्वच्छ एवं साफ होता है।

(घ) 'एलन के नियम' को परिभाषित कीजिए। एक उदाहरण देकर समझाइये ?

उत्तर:

एलन का नियम (Allen's Rule)-निम्न तापीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले जन्तुओं का एक रोचक उदाहरण इनके बाह्य कानों या कर्ण पल्लव (ear prinnae) तथा पादों (limbs) का छोटा होना है। दूसरे शब्दों में, ठण्डे क्षेत्रों के जन्तुओं के कान व पाद छोटे होते हैं, यही एलन का नियम है। कान की त्वचा बहुत पतली होती है जिससे शरीर से तेजी से ऊष्मा की हानि होती है।

उदाहरण- आर्कटिक लोमड़ी, लाल लोमड़ी व रेगिस्तानी लोमड़ी आपस में सम्बन्धित व लगभग समान आकार के जीव हैं। इनमें से आर्कटिक लोमड़ी के कान व पैर सबसे छोटे तथा रेगिस्तानी लोमड़ी के कान सबसे बड़े होते हैं।

एलन का नियम आकारिकीय अनुकूलन प्रदर्शित करता है। जीवों में यह अनुकूलन आनुवाशक रूप से स्थिर तथा लम्बी विकासीय यात्रा का परिणाम होते हैं।

(ड़) प्रसुप्ति या सुषुप्तावस्था पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर:

प्रसुप्ति या सुषुप्तावस्था (Dormancy)- अनेक पौधों के बीजों में अंकुरण हेतु अनुकूल परिस्थितियों (जल, ऑक्सीजन, उचित ताप) होने पर भी बीजों का अंकुरण नहीं होता। ऐसे बीजों में कुछ प्राकृतिक बाधाएँ होती हैं, जिनके समाप्त होने पर ही अंकुरण होता है। ऐसे बीजों के अंकुरित होने की अक्षमता को प्रसुप्ति या सुषुप्तावस्था (dormancy) कहते हैं और इन बीजों को प्रसुप्त बीज (dormant seeds) कहते हैं।

प्रसुप्ति के कारण (Causes of Dormancy)- 

यह दो कारणों से होती है -

(क) बाह्य कारक-ताप, ऑक्सीजन की कमी, प्रकाश का अभाव आदि बाह्य कारक होते हैं।

(ख) आन्तरिक कारक-बीजावरण की जल या ऑक्सीजन के लिए अपारगम्यता, प्रतिरोधी बीजावरण के कारण, अंकुरणरोधक पदार्थों की उपस्थिति, अपूर्ण परिवर्धित भ्रूण आदि के कारण प्रसुप्ति बनी होती है। इन दशाओं के समाप्त हो जाने पर बीज अंकुरित हो जाते हैं।

प्रसुप्ति का महत्त्व (Importance of dormancy)- प्रसुप्ति बीजों के लिए एक अनुकूलन है। इसके कारण बीज उचित वातावरणीय दशाओं में ही अंकुरित होते हैं जिससे नवोद्भिद पादप सफलतापूर्वक स्थापित हो सकें। यह भ्रूण की वृद्धि व विकास के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित कराता है।

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4. (क) द्विनिषेचन एवं त्रिसंलयन से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर:

द्विनिषेचन एवं त्रिसंलयन (Double fertilization and Triple fusion)- परागनलिका में जनन कोशिका (generative cell) विभाजित होकर दो नर युग्मक (male gametes) बनाती है। पराग नलिका नर युग्मकों को भ्रूणकोष में पहुँचाती है। भ्रूणकोष में एक नर युग्मक अण्ड कोशिका (egg cell) से मिलकर युग्मनज (zygote) बनाता है। इसे सत्य निषेचन या संयुग्मन (syngamy) कहते हैं। दूसरा नर युग्मक द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus) या दो अगुणित ध्रुवीय केन्द्रकों (polar nuclei) से मिलकर त्रिगुणित (triploid) प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endospermic nucleus) बना लेता है। इस क्रिया को त्रिसंलयन (triple fusion) कहते हैं। आवृतबीजी पौधों में संयुग्मन (syngamy) तथा त्रिसंलयन (triple fusion) को सम्मिलित रूप से द्विनिषेचन (double fertilization) कहते हैं। युग्मनज से भ्रूण और प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष (endosperm) का विकास होता है।

(ख) स्तन ग्रन्थि के आरेखीय काट का नामांकित चित्र बनाइये ?

उत्तर:

स्तन ग्रन्थि के आरेखीय काट का नामांकित चित्र

(ग) डाऊन सिन्ड्रोम क्या है? इस पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर:

डाउन सिंड्रोम एक क्रोमोसोम विकार है जो अतिरिक्त क्रोमोसोम 21 होने के कारण होता है। इसके कारण बौद्धिक अक्षमता और शारीरिक असामान्यताएं हो सकती हैं।

  • डाउन सिंड्रोम अतिरिक्त क्रोमोसोम 21 होने के कारण होता है।

  • डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास धीमे-धीमे होता है और चेहरे और सिर की बनावट अक्सर छोटी होती है।

  • जन्म से पहले, डाउन सिंड्रोम का पता अल्ट्रासोनोग्राफ़ी या माँ के खून के नमूने की जांच करके लगाया जा सकता है और इसकी पुष्टि कोरियोनिक विलस सैंपलिंग और/या एम्नियोसेंटेसिस का इस्तेमाल करके की जा सकती है।

  • जन्म के बाद, बच्चे की शारीरिक बनावट देखकर जांच की जाती है और आमतौर पर खून के नमूने की जांच करके अतिरिक्त क्रोमोसोम 21 का पता लगाकर इसकी पुष्टि की जाती है।

  • डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त अधिकतर बच्चे वयस्क होने तक जीवित रहते हैं।

  • डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है लेकिन सिंड्रोम की वजह से होने वाले कुछ विशिष्ट लक्षणों और समस्याओं का इलाज हो सकता है।

(घ) पक्षियों तथा मधमक्खियों में लिंग निर्धारण समझाइए।

उत्तर:

पक्षियों में लिंग निर्धारण (Sex determination in birds)- नर पक्षी समयुग्मकी (homogametic) होते हैं। इनमें लिंग गुणसूत्र ZZ होते हैं। अतः सभी शुक्राणु Z गुणसूत्र वाले होते हैं। मांदा पक्षी विषमयुग्मकी (heterogametic) होते हैं। इनमें लिंग गुणसूत्र ZW होते हैं अतः अण्डाणु दो प्रकार के बनते हैं-50% Z गुणसूत्र वाले तथा 50% W गुणसूत्र वाले। Z गुणसूत्र वाले अण्डाणु निषेचन के पश्चात् नर पक्षी और W गुणसूत्र वाले अण्डाणु निषेचन के पश्चात् मादा पक्षी को जन्म देते हैं।

मधुमक्खियों में लिंग निर्धारण (Sex determination in honeybees)- मादा मधुमक्खी (रानी) में 32 गुणसूत्र, (द्विगुणित), श्रमिक मधुमक्खी में 32 गुणसूत्र (द्विगुणित) तथा ड्रोन (Drones) या नर मधुमक्खी में 16 गुणसूत्र (अगुणित) होते हैं। रानी मक्खी में अण्डाणु निर्माण अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है जबकि नर या ड्रोन में शुक्राणु निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा होता है। नर (ड्रोन) का विकास अगुणितं अण्डाणुओं से अनिषेकजनन (parthenogenesis) द्वारा होता है। इसे अगुणित-द्विगुणित लिंग निर्धारण प्रणाली कहते हैं।

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