अशोक महान (सम्राट अशोक) भारतीय इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक थे। उनके धर्म और उसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
अशोक का धर्म: बौद्ध धर्म
अशोक ने अपने शासनकाल के मध्य में बौद्ध धर्म अपनाया। वह कलिंग के युद्ध के बाद, युद्ध की विभीषिका और हिंसा से बहुत प्रभावित हुए थे, जिससे उनका जीवन बदल गया और उन्होंने अहिंसा और धर्म का मार्ग अपनाया।
अशोक के धर्म की विशेषताएं:
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अहिंसा (अवॉइडेंस ऑफ वायलेंस):
- अशोक का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत अहिंसा था। उन्होंने पशु बलि और हिंसा पर रोक लगा दी और अपने राज्य में शांति और सद्भावना का प्रचार किया।
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धम्म (धर्म):
- अशोक ने बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन किया और इसे "धम्म" के रूप में जाना। उन्होंने नैतिकता, सदाचार, करुणा और सत्य का प्रचार किया।
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सर्व धर्म समभाव (रिलिजियस टॉलरेंस):
- अशोक ने सभी धर्मों का सम्मान किया और उनके अनुयायियों को अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीने की स्वतंत्रता दी।
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स्तूपों और विहारों का निर्माण (कंस्ट्रक्शन ऑफ स्तूप्स एंड मठ्स):
- अशोक ने अनेक स्तूपों, विहारों और अन्य बौद्ध संरचनाओं का निर्माण कराया, जिससे बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ।
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धम्म महामात्र (धम्म ऑफिसर्स):
- अशोक ने धम्म महामात्रों को नियुक्त किया जो लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उनकी समस्याओं का समाधान करते थे।
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शिलालेख और स्तंभ (एडिक्ट्स एंड पिलर्स):
- अशोक ने अपने धर्म और सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए शिलालेखों और स्तंभों का निर्माण कराया, जिन पर उनके आदेश और उपदेश अंकित थे। ये शिलालेख कई भाषाओं और लिपियों में थे।
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धार्मिक यात्राएं (रिलिजियस पिल्ग्रिमेज):
- अशोक ने स्वयं धार्मिक यात्राएं कीं और बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों की यात्रा की। उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के बाहर भी किया, जैसे कि श्रीलंका, म्यानमार (बर्मा), और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में।
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सामाजिक कल्याण (सोशल वेलफेयर):
- अशोक ने जनकल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं जैसे कि सड़कें बनवाना, कुएं खुदवाना, वृक्षारोपण करना, और अस्पताल बनवाना।
अशोक का धर्म और उनके द्वारा अपनाए गए सिद्धांत केवल बौद्ध धर्म तक सीमित नहीं थे, बल्कि यह उनके शासन और नीति में भी प्रतिबिंबित होते थे। अशोक की नीतियों ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला और उन्होंने एक नैतिक और धार्मिक सम्राट के रूप में अपनी पहचान बनाई।