स्वयं सहायता समूह वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में 15-20 व्यक्तियों खासकर महिलाओं का एक अनौपचारिक समूह होता है जो अपनी बचत तथा बैंकों से लघु ऋण लेकर अपने सदस्यों की पारिवारिक जरूरतों को पूरा करते हैं तथा विकास की गतिविधियों का संचालन कर गाँवों के विकास तथा महिला सशक्तिकरण में योगदान देते हैं। एक या दो वर्षों के बाद अगर समूह नियमित रूप से बचत करता है तो समूह बैंक से ऋण के योग्य हो जाता है। ऋण समूह के नाम पर प्रदान किया जाता है जिससे स्वरोजगारों के अवसरों का सृजन करते हैं ।