चालक स्थिर - वैद्युतिकी (Electrostatics of Conductors)
चालक (conductors) वे पदार्थ है जिनसे होकर धारा का प्रवाह (flow of charge) अर्थात् आवेश का प्रवाह हो जाता है। सभी धात्विक पदार्थ चालक होते हैं। इनकी चालकता (conductivity) का कारण यह है कि सभी चालकों में आवेश वाहकों अर्थात् मुक्त इलेक्ट्रॉनों (free electrons) की बड़ी संख्या मौजूद रहती है। चालक स्थिर - वैद्युतिकी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं-
चालक के अन्दर विद्युत् क्षेत्र शून्य होता है: माना एक चालक ABCD किसी बाह्य विद्युत् क्षेत्र \(\overrightarrow{ E_{ext}}\) में रखा है। चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर बाहा क्षेत्र

की विपरीत दिशा में Eext, बल लगेगा अतः वे चालक के पृष्ठ AB से CD को और गति करने लगेंगे और CD किनारे पर एकत्र (collect) हो जायेंगे। फलस्वरूप AB किनारा समान परिमाण से धनावेशित हो जायेगा। इन आवेशों को प्रेस्ति आवेश (induced charges) कहते हैं। ये प्रेरित आवे
चालक के अन्दर एक वैद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow E_p\) उत्पन्न करते हैं जो बाह्य क्षेत्र \(\overrightarrow E_{ext}\) का विरोध करता है और इलेक्ट्रॉनों की गति का भी विरोध करता है, अत:
इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह तुरन्त रुक जाता है, जैसे ही \(\overrightarrow E_p\) का परिमाण \(\overrightarrow E_{ext}\) के परिमाण के बराबर हो जाता है, चालक के अन्दर नेट विद्युत् क्षेत्र (\(\overrightarrow E_{ext} + \overrightarrow Ep\)) = 0 हो जाता है। अर्थात् Eext - Ep = 0, क्योंकि \(\overrightarrow E_{ext}\) व \(\overrightarrow E_p\) की दिशाएँ विपरीत हैं।
आवेशित चालक के पृष्ठ पर प्रत्येक बिन्दु पर स्थिर - वैधुत क्षेत्र अभिलम्बवत् होना चाहिए: स्थिर - वैद्युत स्थितियों के अन्तर्गत चालक के पृष्ठ पर आवेश का पुनर्वितरण (redistribution of charges) हो जाता है इसलिए आवेश का प्रवाह रुक जाता है। अतः पृष्ठ के अनुदिश (along) विद्युत् क्षेत्र का घटक (component) शून्य होना चाहिए अर्थात्

जहाँ θ पृष्ठ पर स्पर्शी (tangent) एवं विद्युत् क्षेत्र के मध्य कोण है।
चूंकि E ≠ 0 अत: cosθ = 0
या θ = 90°
अर्थात् विद्युत् क्षेत्र \(\overrightarrow E\) चालक के पृष्ठ के लम्बवत् होना चाहिए।