NCERT Solutions Class 10, Hindi, Sparsh, पाठ- 13, पतझर में टूटी पत्तियाँ
लेखक - रविन्द्र केलेकर
प्रश्न अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
1. शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
उत्तर
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग होता है, क्योंकि गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया जाता है इसलिए | वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मज़बूत भी होता है। शुद्ध सोने में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती।
2. प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
उत्तर
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो आदर्शों को व्यवहारिकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। इनका समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये कई बार आदर्शों से पूरी तरह हट जाते हैं और केवल अपने हानि-लाभ के बारे में सोचते हैं। ऐसे में समाज का स्तर गिर जाता है।
3. पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
उत्तर
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श वे हैं, जिनमें व्यावहारिकता का कोई स्थान न हो। केवल शुद्ध आदर्शों को महत्त्व दिया जाए। शुद्ध सोने में ताँबे का मिश्रण व्यावहारिकता है, तो इसके विपरीत शुद्ध सोना शुद्ध आदर्श है।
4. लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
उत्तर
दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने से वह दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है। जापान के लोग पूर्ण रूप से प्रतिस्पर्धा में हैं, वे किसी भी तरीके से उन्नति करके अमेरिका से आगे निकलना चाहते हैं। इसलिए उनका मस्तैिष्क सदा तनावग्रस्त रहता है। इस कारण वे मानसिक रोगों के शिकार होते हैं। लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगाने की बात इसलिए कही क्योंकि वे तीव्र गति से प्रगति करना चाहते हैं। महीने के काम को एक दिन में पूरा करना चाहते हैं इसलिए उनका दिमाग भी तेज़ रफ्तार से स्पीड इंजन की भाँति सोचता है।
5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर
जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।
6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वह स्थान पर्णकुटी जैसा सजा होता है। वहाँ बहुत शांति होती है। प्राकृतिक ढंग से सजे हुए इस छोटे से स्थान में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं। यहाँ अत्यधिक शांति का वातावरण होता है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −
1. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर
यह स्पष्ट है कि जीवन में आदर्शवादिता का ही अधिक महत्त्व है। अगर व्यावहारिकता को भी आदर्शों के साथ मिला दिया जाए, तो व्यावहारिकता की सार्थकता है। समाज के पास जो आदर्श रूपी शाश्वत मूल्य हैं, वे आदर्शवादी लोगों की ही देन हैं। व्यवहारवादी तो हमेशा लाभ-हानि की दृष्टि से ही हर कार्य करते हैं। जीवन में आदर्श के साथ व्यावहारिकता भी आवश्यक है, क्योंकि व्यावहारिकता के समावेश से आदर्श सुंदर व मजबूत हो जाते हैं।
2. चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
उत्तर
चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वागत करना, आराम से अँगीठी सुलगाना, चायदानी रखना, चाय के बर्तन लाना, तौलिए सेपोछ कर चाय डालना आदि सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण, अच्छे व सहज ढंग से कीं।
3. टी-सेरेमनी में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर
भाग-दौड़ की ज़िदंगी से दूर भूत-भविष्य की चिंता छोड़कर शांतिमय वातावरण में कुछ समय बिताना इस जगह का उद्देश्य होता है। इसलिए इसमें केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था।
4. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि उसका दिमाग सुन्न होता जा रहा है, उसकी सोचने की शक्ति धीरे-धीरे मंद हो रही है। इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई देने लगी। उसे लगा कि भूत-भविष्य दोनों का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख मिलने लगा।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -
1. गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए?
उत्तर
गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। यह आन्दोलन व्यावहारिकता को आदर्शों के स्वर पर चढ़ाकर चलाया गया। इन्होंने कई आन्दोलन चलाए − भारत छोड़ो आन्दोलन, दांडी मार्च, सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन आदि। उनके साथ भारत की सारी जनता थी। उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूर्ण स्वराज की स्थापना की। भारतीयों ने भी अपने नेता के नेतृत्व में अपना भरपूर सहयोग दिया और हमें आज़ादी मिली।
2. आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रांसगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, परहित, कावरता, सहिष्णुता आदि ऐसे शाश्वत मूल्य हैं जिनकी प्रांसगिकता आज भी है। इनकी आज भी उतनी ही ज़रूरत है जितनी पहले थी। आज के समाज को सत्य अहिंसा की अत्यन्त आवश्यक है। इन्हीं मूल्यों पर संसार नैतिक आचरण करता है। यदि हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मार्ग पर चलें तो समाज को विघटन से बचाया जा सकता है।
3. निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब−
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर
शुद्ध आदर्श अपनाने से हम पर लोगों का विश्वास बढ़ता है, हम सम्मान पा सकते हैं।
(1) छात्र स्वयं अपनी घटना दिए गए तरीके से लिख सकते हैं −
मेरे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, जिसने मुझे बहुत दुखी किया था। मैंने मास्टर जी से ऐसे लड़के की शिकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोरियाँ किया करता था। मास्टर जी तो प्रसन्न हुए परन्तु लड़के ने छुट्टी के बाद अपने साथियों के साथ मिलकर मेरी हड्डियाँ तोड़ दी। मुझे प्लास्टर तो बंधा ही, घरवालों के जो पैसे खर्च हुए अलग, साथ ही एक महीने छुट्टी ले कर घर पर रहना पड़ा। मुझे शुद्ध आदर्श अपनाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
(2) व्यवहार में व्यवहारिकता लाना ज़रूरी है। एक महीने बाद जब स्कूल पहुँचा, तो पिछला काम पाने के लिए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खुश करने के लिए उसकी तारीफ़ की, उसको सराहा और कक्षा कार्य मांगा तो उसने तुरंत मदद कर दी।
4. शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है?स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शुद्ध सोना आदर्शों का प्रतीक है और ताँबा व्यावहारिकता का प्रतीक है। गाँधी जी व्यावहारिकता को ऊँचा स्तर देकर आदर्शों के स्तर तक लेकर जाते थे अर्थात् ताँबे में सोना मिलाते थे। वे नीचे से ऊपर उठाने का प्रयास करते थे न कि ऊपर से नीचे गिराने का। इसलिए कई लोगों ने उन्हें प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ भी कहा । वास्तव में वे व्यावहारिकता से परिचित थे, लोगों की भावनाओं को पहचानते थे इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके और पूरे देश को अपने पीछे चलाने में कामयाब रहे।
5. गिरगिट कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश 'गिन्नी का सोना' का संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि 'अवसरवादिता' और 'व्यवहारिकता' इनमें से जीवन में किसका महत्व है?
उत्तर
'गिरगिट' कहानी में स्वार्थी इंस्पेक्टर पल-पल बदलता है। वह अवसर के अनुसार अपना व्यवहार बदल लेता है। 'गिन्नी का सोना' कहानी में इस बात पर बल दिया गया है कि आदर्श शुद्ध सोने के समान हैं। इसमें व्यवाहिरकता का ताँबा मिलाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। केवल व्यवहारवादी लोग गुणवान लोगों को भी पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति आदर्शों को छोड़कर आगे बढ़ें तो समाज विनाश की ओर जा सकता है। समाज की उन्नति सही मायने में वहीं मानी जा सकती है जहाँ नैतिकता का विकास, जीवन के मूल्यों का विकास हो।
6. लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताएँ हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है, बोलता नहीं बकता है, एक महीने का काम एक दिन में करना चाहता है, दिमाग हज़ार गुना अधिक गति से दौड़ता है। अतरू तनाव बढ़ जाता है। मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का अनियंत्रित गति से कार्य करना है।
7. लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।