जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा रचित ओ सदानीरा शीर्षक निबंध के माध्यम से गंडक नदी को निमित्त बनाकर उसके किनारे की संस्कृति और जीवन प्रवाह की अंतरंग झाँकी पेश करते हैं जो स्वयं गंडक नदी के तरह प्रवाह दिखलाई पड़ता है।
ओ सदानीरा पाठ में आए नौका विहार प्रसंग बहुत ही मनमोहक है। गंडक नदी में नौका विहार अनुभव लेखक को प्राप्त है। उनका कहना है कि गडक नदी में नौका विहार बहुत ही मनमोहक लगता है। नौका विहार होने से गंडक नदी के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही गंडक नदी के किनारे की संस्कृति और जीवन प्रवाह के बारे में नौका विहार से विशेष अनुभव भी प्राप्त होता है।