NCERT Solutions Class 8, Hindi, Vasant, पाठ- 2, बस की यात्रा
लेखक - हरिशंकर परसाई
प्रश्न अभ्यास
कारण बताएं
1. "मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।"
- लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई ?
उत्तर
लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था। अर्थ मोह की वजह से आत्म बलिदान की ऐसी भावना दुर्लभ थी जिसे देखकर लेखक हतप्रभ हो गया और उसके प्रति उनके मन में श्रद्धा भाव उमड़ता है।
2. "लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।"
- लोगों ने यह सलाह क्यों दी ?
उत्तर
लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे की बस की हालत बहुत खराब है। बस का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब और कहाँ रूक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कहाँ बितानी पड़ जाए, कुछ पता नहीं रहता। उनके अनुसार यह बस डाकिन की तरह है।
3. "ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।"
उत्तर
जब बस चालक ने इंजन स्टार्ट किया तब सारी बस झनझनाने लगी। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है। मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भांति बस के यात्री हिल रहे थे।
4.''गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।''
- लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर
बस की वर्तमान स्थिति देखते हुए इस प्रकार का आश्चर्य व्यक्त करना स्वाभाविक था। देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी होगी परन्तु जब लेखक ने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी।
5. "मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।"
- लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ था ?
उत्तर
बस की हालत ऐसी थी जिसे देखकर कोई भी व्यक्ति को संदेह होता परन्तु लेखक ने फिर भी उसमें बैठने की गलती की। लेकिन उसे अपनी गलती का अहसास तब हुआ जब बस स्टार्ट हो गई और उसमें बैठकर यात्रा करते हुए उसे इस बात को पूरा यकीन हो गया कि ये बस कभी भी धोखा दे सकती है। मार्ग में चलते हुए उसे हर वो चीज़ अपनी दुश्मन सी लग रही थी जो मार्ग में आ रही थी। फिर चाहे वो पेड़ हो या कोई झील। उसे पूरा यकीन था कि बस कब किसी पेड़ से टकरा जाए और उनके जीवन का अंत हो जाए। इसी विश्वास ने लेखक को पूरी तरह भयभीत किया हुआ था कि अब कोई दुर्घटना घटी और हमारे प्राण संकट में पड़ गए।
पाठ से आगे
1.‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए
उत्तर
सविनय अवज्ञा आंदोलन महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सन् 1930 में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध शुरू किया गयाउस समय भारतीय समाज गरीबी में दिन बिता रहा थालोगों को मुश्किल से दो जून की रोटी नसीब हो रही थीवे मुश्किल से नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे थेअंग्रेजों ने नमक पर भी टैक्स लगा दियाइससे नाराज गांधीजी ने नमक बनाकर कानून भंग कियासविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे
(क) भारतीय किसान व्यावसायिक खेती करने पर विवश थेव्यापार में मंदी और गिरती कीमतों के कारण वे बहुत परेशान थे
(ख) उनको आय कम होती जा रही थी और वे लगान का भुगतान नहीं कर पा रहे थे।
(ग) ब्रिटिश सरकार के शोषण के विरुद्ध इसे हथियार बनाया गया
2.सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।
उत्तर
सविनय अवज्ञा का उपयोग लेखक ने बस की जीर्ण-शीर्ण तथा खटारा दशा होने के बावजूद उसके चलने या चलाए जाने के संदर्भ में किया हैयह आंदोलन 1930 में अंग्रेजी सरकार की आज्ञा न मानने के लिए किया गया था12 मार्च 1930 को डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा गयाअंग्रेजों की दमनपूर्ण नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही, यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी
3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए।
उत्तर
पिछली गर्मी की छुट्टियों की बात हैमुझे अपने मित्र के बड़े भाई की शादी में लखनऊ जाना थानियत तिथि पर जाने के लिए मैंने टिकट आरक्षण करवा लिया दुरभाग्य से उस दिन किसी कारण से दिल्ली-वाराणसी समर स्पेशल निरस्त कर दी गईमजबूरन मुझे बस अड्डे जाना पड़ावहाँ दो घंटे से पहले कोई बस न थीशाम के आठ बज चुके थेतभी एक व्यक्ति ‘लखनऊ चलो ए.सी. बस से लखनऊ चलो’ की आवाज लगाता आयामैंने जैसे ही उससे कुछ पूछना चाहा, उसके साथी मेरा सामान उठाकर बस की ओर चल पडेबस थोड़ी दूर बाहर खड़ी थीमेरे जैसी उसमें सात-आठ सवारियाँ और भी थींबस कंडक्टर ने अपने साथियों को और सवारी लाने भेज दियायात्रियों द्वारा शोर करने पर बस रात बारह बजे चलीए.सी. चलाने के लिए कहने पर कंडक्टर ने बताया कि ए.सी. अभी-अभी खराब हुआ हैगाजियाबाद से आगे जाते ही ड्राइवर ने बस एक होटल पर रोक दीड्राइवर-कंडक्टर के मुफ्त में खाए भोजन का खर्च हमें देना पड़ाखैर अलीगढ़ से चलने के पंद्रह मिनट बाद ही चार नवयुवकों ने हाथ में चाकू निकाल लिए और यात्रियों से नकदी व सामान देने को कहाघबराए यात्रियों ने उनके आदेशों का पालन किया और वैसा ही करने लगे जैसा नवयुवकों ने कहा थाइसी बीच किसी लोकल यात्री ने सामान निकालने के बहाने बस का नंबर बताकर अलीगढ़ के डी.एस.पी. को फोन पर मैसेज भेज दिया, जो उसके रिश्तेदार थेलुटेरे बेफिक्री से अपना काम कर रहे थे कि आधे घंटे बाद सामने से आती पुलिस की गाड़ियों ने बस को रुकवा लिया और लुटेरों के भागने से पहले धर दबोचासब अपने-अपने सामान एवं नकदी पाकर बहुत प्रसन्न हुएमैसेज भेजने वाले व्यक्ति का साहस पूर्ण कार्य तथा उसका फोटो अगले दिन लखनऊ से प्रकाशित समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुआखैर इस घटना के बाद बस सकुशल लखनऊ पहुँच गईमैं तीसरे दिन लखनऊ मेल से दिल्ली वापस आ गयाआज भी हम उस व्यक्ति को मन-ही-मन धन्यवाद देते हैं।
मन बहलाना
अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।
उत्तर
बस यदि जीवित प्राणी होती तो अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को कुछ इस तरह कहती
मैं एक पुरानी तथा जीर्ण-शीर्ण बस हूँआज से करीब तीस साल पहले मैं भी नई-नवेली, जवान तथा सुंदर थीमेरा ड्राइवर मुझे फूल-मालाओं से सजाता।मेरी सीट पर बैठने से पहले वह मेरे पैर छूता जरा भी गंदगी अंदर-बाहर दिख जाने पर कंडक्टर को डाँटता, पर आज लगता है कि यह सब सपने की बातें हैंआज मैं वृद्धा अवस्था में पहुँच गई हूँ तब से अब तक कई ड्राइवर तथा कंडक्टर बदल गए हैंइस समय जो ड्राइवर है, वह मेरा ध्यान नहीं रखता हैमेरी साफ-सफाई किए बिना ही मुझ पर सवार हो जाता हैशाम को मेरी सीटों पर बैठकर भोजन करता है और मुझे गंदा करके छोड़ जाता हैविश्वकर्मा पूजा के दिन के अलावा अब कभी मेरे ऊपर फूल माला नहीं चढ़ाई जाती हैमेरा चलने को मन नहीं होता है पर यह धक्के दे-देकर मुझे जबरदस्ती चलवाता हैसवारियाँ इतनी लाद लेता है कि मेरा अंग-अंग टूटने लगता है और लगता है कि अब दम निकल ही जाएमेरी आँखें खराब हो चुकी हैं तथा हाथ-पैर जवाब दे रहे हैं, पर मेरा ड्राइवर इन बातों से अनभिज्ञ है क्योंकि उसे पैसे कमाना है
भाषा की बात
1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।
- उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।
उत्तर
(1) बस - वाहन
(i) हमारी स्कूल बस हमेशा सही वक्त पर आती है।
(ii) 507 नंबर बस ओखला गाँव जाती है।
(2) वश - अधीन
(i) मेरे क्रोध पर मेरा वश नहीं चलता।
(ii) सपेरा अपनी बीन से साँप को वश में रखता है।
(3) बस - पर्याप्त (काफी)
(i) बस, बहुत हो चुका।
(ii) तुम खाना खाना बस करो।
2. ''हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।'' ने, की, से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह जब दो वाक्यों को एक साथ जोड़ना होता है 'कि' का प्रयोग होता है।
- कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।
उत्तर
(i) बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे।
(ii) बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य चलती होगी।
(iii) यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं।
(iv) ड्राइवर ने तरह-तरह की तरकीबें की पर वह नहीं चली।
3. ''हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।'' 'सरकना' और 'रेंगना' जैसी क्रिया दो प्रकार की गति बताती है। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैस-घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर
रफ्तार - बस की रफ्तार बहुत ही तेज़ थी।
चलना - बस का चलना ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हवा से बातें कर रही हो।
गुज़रना - वह उस रास्ते से गुज़र रहा है।
गोता खाना - वह आज स्कूल से गोता खा गया।