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NCERT Solutions Class 8, Hindi, Vasant, पाठ- 10, अकबरी लोटा

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NCERT Solutions Class 8, Hindi, Vasant, पाठ- 10, अकबरी लोटा

लेखक - अन्नपूर्णानंद वर्मा

कहानी की बात

1. "लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।"

लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।

उत्तर

लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते थे। दूसरा वे पत्नी के तेज-तर्रार स्वभाव से भी अवगत थे उन्होंने सोचा कि अभी तो लोटे में पानी मिला है यदि चूँ कर दू तो कहीं बाल्टी में भोजन ना करना पड़े।

2. "लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।" आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?

उत्तर

दो और दो जोडकर स्थिति को समझना – अर्थात् परिस्थिति को भाँप जाना। लोटा गिरने पर गली में मचे शोर को सुनकर आँगन में एकत्र हो गई। एक अंग्रेज को भीगे हुए तथा पैर सहलाते हुए देखकर लाला समझ गए कि स्थिति गंभीर है और लोटा अंग्रेज को लगा है। इस समय उनका चुप रहना ही ठीक है।

3. अंग्रेज़ के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

अंग्रेज़ के सामने बिलवासीजी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर दिया क्योंकि अंग्रेज़ का क्रोध शांत हो जाए और अंग्रेज़ को ज़रा भी संदेह न हो कि वह लाला झाऊलाल का आदमी है। तथा वह अपनी योजना पूरी करना चाहते थे जिससे पैसे की व्यवस्था हो सकें।

4. बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।

उत्तर

बिलवासीजी ने रुपयों का प्रबंध अपने ही घर से अपनी पत्नी के संदूक से चोरी कर किया था। बाद में उन्हों ने रुपये चुप-चाप वहीं रख दिए।

5. आपके विचार से अंग्रेज ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।

उत्तर

अंग्रेज़ को पुरानी ऐतिहासिक चीज़ें इकट्ठा करने का शौक था। उसके एक मित्र ने 300 रूपए देकर एक जहाँगीरी अंडा खरीदा था। उसे हीन दिखाने के लिए अंग्रेज़ ने यह लोटा, अकबरी लोटा समझकर 500 रूपए में खरीदा।

अनुमान और कल्पना

1. "इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ
लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।"

बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।

उत्तर

'बिलवासी' जी ने यह बात 'लाला झाऊलाल' से कही क्योंकि उसने ये पैसे अपनी पत्नी के संदूक से चुराए थे। इस रहस्य को वह 'झाऊलाल' के सामने खोलना नहीं चाहते थे।

2. "उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।"

समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।

उत्तर

झाऊलाल के लिए बिलवासीजी ने अपनी पत्नी के संदूक से पैसे चोरी किए थे अब वे अपनी पत्नी के सोने की प्रतीक्षा में थे ताकि वह पैसे चुप-चाप संदूक में रख दे। इसलिए समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उडी थी।

3. "लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।"
"अजी इसी सप्ताह में ले लेना।"

"सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?"

झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है लिखिए।

उत्तर

झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से निम्न बातें उजागर होती हैं –

  • झाऊलाल की पत्नी को अपने पति झाऊलाल के वादे पर भरोसा नहीं था।
  • उनकी पत्नी ने पहले भी कुछ माँगा होगा परन्तु उन्होंने हाँ करने के बाद भी लाकर नहीं दिया होगा।
  • झाऊलाल कंजूस प्रवृत्ति के हैं।

क्या होता यदि

1. अंग्रेज़ लोटा न खरीदता?

उत्तर

यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए रूपए लाला झाऊलाल को देने पड़ते। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नी को पैसे नहीं दे पाते और अपनी पत्नी के सामने बेइज्जत होते।

2. यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता?

उत्तर

यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता तो सम्भवत: लाला झाऊलाल को गिरफ्तार कर लिया जाता या उन्हें जुर्माना देना पड़ता। दोनों ही परिस्थितियों में लाला झाऊलाल अपनी पत्नी को दिया हुआ वचन निभाने में असमर्थ होते।

3. जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?

उत्तर

गले से चाबी निकालते समय यदि बिलवासी जी की पत्नी जग जाती तो अपनी पत्नी के समक्ष उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता। चोरी का इल्ज़ाम भी बिलवासी जी को सहना पड़ता।

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पता कीजिए

1. "अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।" उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?

उत्तर

उल्का किसी तारे का टुकड़ा होता है जो चट्टानों से बना होता है | यह तारे के चारों ओर अपने पथ पर घूमता है किंतु कभी-कभी यह टूटकर अलग हो जाता है और पृथ्वी की ओर तेजी से गिरने लगता है गिरते समय वायुमंडल में वायु से घर्षण के कारण यह तेजी से जलकर प्रकाश उत्पन्न करता है इसे टूटतातारा भी कहते हैं|

ग्रह और उल्का में समानताएँ-

  • दोनों का ही निर्माण चट्टान के कणों से हुआ है
  • दोनों ही किसी तारे के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं असमानताएँ
  • ग्रहों का आकार काफी बड़ा, जबकि उल्का का आकार छोटा होता है
  • ग्रह अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हैं, जबकि उल्काओं की कोई निश्चित धुरी नहीं होती है

2. इस कहानी में आपने दो चीजों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ीं-अकबरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी।
आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या काल्पनिक ?

उत्तर

अकबरी लोटा कहानी बहुत ही मजेदार है | इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बजाय रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है

मेरे विचार से कहानियाँ काल्पनिक है |  जहाँगीरी अंडे की बात पूरी तरह से काल्पनिक है। क्योंकि एक अंडे को इतने दिनों तक सँभालकर रखना सम्भव नहीं है तथा अकबरी लोटे के सम्बंध में भी कोई प्रमाण नहीं है।

3. अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज़ के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए।

उत्तर

मेरे घर में भी ऐसी ही एक पुरानी कुर्सी थी जो मेरे दादाजी को अति प्रिय थी, जिसका वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है।

  • हमारे घर में एक पुरानी कुर्सी थी को हमारे दादाजी को उनके पिताजी ने दी थी, पहले मेरे दादाजी के पिताजी अर्थात मेरे परदादाजी उस कुर्सी पर बैठा करते थे व ग्रामोफोन सुना करते थे। परदादाजी ने वह कुर्सी दादाजी को उपहार में दी थी उनकी मृत्यु के बाद मेरे दादाजी उस कुर्सी पर बैठकर रेडियो पर पुराने गाने सुन करते थे।
  • वह कुर्सी वैसे तो बहुत मजबूत थी क्योंकि पुरानी चीज थी परन्तु नए फर्नीचर के साथ मैच नहीं होती थी परन्तु दादाजी थे कि उस कुर्सी को घर से बाहर निकालने ही भी देते थे।
  • एक बार हम वह कुर्सी कबाड़ी वाले को दे दी। हमें लगा कि कबाड़ में जाने के बाद वे कुर्सी को वापस लाने की जिद नहीं करेंगे परन्तु हमारी आशा में विपरीत उन्होंने उस दिन खाना ही नहीं खाया , रात भर बैठकर रोते रहे।
  • इस बात से हमें भी अपनी गलती का अहसास हुआ , दूसरे दिन सवेरे ही जाकर पिताजी कबाड़ी वाले से वह कुर्सी वापस के आए।
  • दादाजी ने जब उस कुर्सी को देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने रोते हुए कहा कि यह कुर्सी साथ रहती है तो लगता है कि मेरे पिताजी ( अर्थात मेरे परदादा जी ) मेरे साथ है।
  • उस दिन के बाद हम सभी ने निश्चय किया कि उस कुर्सी को कभी भी किसी को नहीं देंगे।

4. बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत ?

उत्तर

बिलवासी जी ने रुपयों का इंतजाम दो तरीकों से किया था

अपनी पत्नी की संदूक से उन्होंने चोरी से रुपये निकाले। इसके लिए उन्होंने अपनी सोती पत्नी के गले की चेन से ताली निकाली और चुपचाप रुपये निकाले थे। उनका यह तरीका गलत था क्योंकि उनकी पत्नी इस बीच यदि जाग जाती तो घर में बवंडर खड़ा हो जाता।

रुपयों के प्रबंध के लिए उन्होंने जो दूसरा तरीका अपनायी उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने एक अनजान अंग्रेज को बेवकूफ बनाया था। इससे उनको स्वार्थ तथा मनोविनोद तो पूरा हो गया पर यदि बाद में इस अंग्रेज को ऐतिहासिक वस्तुओं के नाम पर अपने साथ हुई ठगी का पता चलेगा तो वह भारत की उस संस्कृति जहाँ ‘अतिथि देवो भव’ माना जाता है के बारे में कितना सच मानेगा तथा भारतीयों के प्रति उसके मन में बना विश्वास सदा के लिए टूट जाएगा।

भाषा की बात

1. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।

उत्तर

  • अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।
  • कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो।
  • ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते हैं।

2. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।

उत्तर

  • आँख सेंकने के लिए भी न मिलना - (दुर्लभ होना) पुरानी चीज़ें तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलते हैं।
  • आँखों से खा जाना - (क्रोधित होना) काँच का ग्लास टूट जाने से उसने बच्चे को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगा।
  • बाप डमरू, माँ चिलम - (बेढ़ंग सा आकार) सौरभ के डब्बे का आकार देखकर ऐसा लगता जैसे उसका बाप डमरू तथा माँ चिलम रही होगी।
  • डींगे सुनना - (झूठ-मूठ की तारीफ सुनना) अपनी बहादुरी की इतनी डींगें मत सुनाओ।
  • चैन की नींद सोना - (निश्चिंत सोना) परीक्षा के बाद मैं चैन की नींद सोया हूँ।

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