सगुण शाखा व उनके कवियों का परिचय
सगुण शाखा: सगुण शाखा भक्तिकाल के दो मुख्य भागों में से एक है, जिसमें ईश्वर को सगुण (गुणों से युक्त) रूप में माना गया है। इस शाखा के कवियों ने भगवान के साकार रूप का वर्णन किया है। सगुण भक्ति को भी दो भागों में बांटा जा सकता है: राम भक्ति और कृष्ण भक्ति।
प्रमुख कवि:
- राम भक्ति के कवि: तुलसीदास, जिन्होंने रामचरितमानस की रचना की।
- कृष्ण भक्ति के कवि: सूरदास, जिन्होंने श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया।
सूरदास का जीवन परिचय: सूरदास हिंदी साहित्य के महान कवि और संत थे। उनका जन्म 1478 ई. में रुनकता, आगरा के निकट, हुआ था। वे जन्म से अंधे थे, परंतु उन्होंने अपनी रचनाओं में जो वर्णन किए हैं, वे अद्भुत हैं। सूरदास ने वल्लभाचार्य के शिष्य के रूप में अपनी भक्ति यात्रा प्रारंभ की और अष्टछाप कवियों में से एक माने जाते हैं।
रचनाएँ: सूरदास की मुख्य रचना "सूरसागर" है, जिसमें उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास लीला, और अन्य लीलाओं का वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त सूरसारावली और साहित्य लहरी भी उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
भाषा शैली: सूरदास ने ब्रज भाषा में रचनाएँ कीं, जो उस समय की लोकप्रिय भाषा थी। उनकी भाषा सरल, सहज और सुगम है, जिसमें ग्रामीण जीवन की मिठास और सरलता परिलक्षित होती है। उनकी काव्य शैली में अलंकारों का सुन्दर प्रयोग मिलता है, जो उनकी कविताओं को और भी रमणीय बनाता है।
काव्यगत विशेषताएँ: सूरदास की काव्य रचनाओं में भक्ति भावना प्रमुख है। उन्होंने कृष्ण की लीलाओं का वर्णन इतनी सरलता और सजीवता से किया है कि पाठक उनके वर्णनों में खो जाते हैं। उनके काव्य में नायिका भेद, वात्सल्य रस, शृंगार रस, और भक्ति रस का अद्वितीय समन्वय मिलता है।
सूरदास के काव्य में सजीवता, भावुकता, और भक्ति की गहराई है, जो उन्हें हिंदी साहित्य का अमूल्य रत्न बनाती है।
बचपन की मधुर स्मृतियाँ:
बचपन का समय हर व्यक्ति के जीवन का सबसे आनंदमय समय होता है। मेरे बचपन की यादें भी बहुत मधुर और अनमोल हैं। मुझे याद है, जब मैं अपने गाँव में दादी के साथ खेतों में जाता था। वह समय बहुत ही खास था। दादी के हाथों के बने खाने का स्वाद, खेतों की हरियाली, और दोस्तों के साथ खेलना, यह सब आज भी याद कर मैं बहुत आनंदित होता हूँ।
हमारा घर गाँव के बीचों-बीच था, जहाँ एक बड़ा सा आम का पेड़ था। गर्मियों में, हम सभी बच्चे उस पेड़ के नीचे बैठकर आम खाते थे। दादी की कहानियाँ सुनना और रात को छत पर सोते समय तारों को गिनना, यह सब मेरे बचपन की मीठी यादें हैं।
स्कूल के दिन भी बहुत मजेदार थे। सुबह-सुबह उठकर तैयार होना, माँ का टिफिन देना, और स्कूल में दोस्तों के साथ मस्ती करना, यह सब यादें आज भी मन को खुशी से भर देती हैं। हमें खेलने का भी बहुत शौक था। शाम को स्कूल से लौटने के बाद, हम सब दोस्त मिलकर कबड्डी, खो-खो और छुपम-छुपाई खेलते थे।
एक और यादगार घटना थी, जब पूरे गाँव में होली का त्योहार मनाया जाता था। रंगों से खेलना, गाने गाना, और होली के पकवान खाना, यह सब बहुत ही आनंददायक था। होली की मस्ती और वह हंसी-खुशी का माहौल, आज भी मुझे बहुत याद आता है।
इन यादों को याद कर मैं सोचता हूँ, काश, वे दिन फिर लौट आते! बचपन की वे निश्छल हंसी, वह निर्दोषता, और वह आत्मीयता जीवन भर याद रहेगी।
चलचित्र का वर्णन:
हाल ही में मैंने "दंगल" नामक फिल्म देखी, जो एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका आमिर खान ने निभाई है, जिन्होंने महावीर सिंह फोगाट का किरदार निभाया है।
कहानी: फिल्म की कहानी महावीर सिंह फोगाट पर आधारित है, जो एक पहलवान हैं। उनका सपना होता है कि वह अपने बेटे को कुश्ती का चैंपियन बनाए, लेकिन उनके पास बेटा नहीं होता। अंततः, वे अपनी बेटियों गीता और बबीता को पहलवान बनाते हैं। कहानी उन चुनौतियों और संघर्षों को दर्शाती है, जिनसे महावीर और उनकी बेटियाँ गुज़रती हैं, और कैसे वे अंत में सफलता प्राप्त करती हैं।
पात्रों के चरित्र:
- महावीर सिंह फोगाट: एक दृढ़ और संकल्पित पिता, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने समाज और परिवार की परवाह नहीं करता।
- गीता फोगाट: महावीर की बड़ी बेटी, जो अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करती है और भारत की पहली महिला कुश्ती चैंपियन बनती है।
- बबीता फोगाट: गीता की छोटी बहन, जो अपने पिता और बहन के समर्थन से राष्ट्रीय स्तर की पहलवान बनती है।
दृश्य और संगीत: फिल्म में हरियाणा के ग्रामीण परिवेश को बहुत ही वास्तविक तरीके से दिखाया गया है। कुश्ती के मुकाबलों के दृश्य बहुत ही रोमांचक और प्रेरणादायक हैं। फिल्म का संगीत भी कहानी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर "धाकड़" और "हानिकारक बापू" जैसे गाने।
संदेश: फिल्म का मुख्य संदेश यह है कि मेहनत, दृढ़ संकल्प, और आत्मविश्वास से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। यह फिल्म महिलाओं के सशक्तिकरण और समाज की पुरानी धारणाओं को बदलने का संदेश भी देती है।
कुल मिलाकर, "दंगल" एक प्रेरणादायक फिल्म है जो न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि समाज में बदलाव लाने का संदेश भी देती है।