समझाइए तो जरा
1. फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
उत्तर
लेखिका के कहने का अभिप्राय यही है कि जब कोई अपने वतन को याद करता है अथवा उसे अपना वतन याद आ जाता। है तो उसकी आँखों से आँसू की बूंदे टपकने लगती हैं। वह उसके सफ़ेद आँचल में सितारे की तरह टूटकर समा जाते हैं। यादों की बौछारों से उनकी पलकें भींग जाते हैं।
2. किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़।
उत्तर
भारत लौटने के समय सफ़िया अमृतसर के स्टेशन पुल पर चढ़ती हुई यह सोच रही है। सिख बीवी लाहौर को अपना वतन बताती है, पाक कस्टम अफ़सर दिल्ली को तथा भारतीय कस्टम अफ़सर ढाका को अपना वतन बताता है जबकि ये तीनों ही अलग देशों में रहते हैं। इनका मन अपनी जन्मभूमि में है तथा इनका कार्यक्षेत्र व निवास अलग क्षेत्र में है।
पाठ के आस-पास
1. 'नमक’ कहानी में हिंदुस्तान, पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वर्तमान संदर्भ में ये संवेदनाएँ ऐसी की ऐसी ही बनी हुई हैं। आज भी दोनों देशों के लोगों के मध्य प्रेम का संबंध है। इसका उदाहरण आज भारत में जिंदगी चैनल में आने वाले कार्यक्रम हैं, जिन्होंने भारतीयों दिलों में खास पैठ बनाई हुई है। ऐसे ही भारत के कार्यक्रम तथा फ़िल्में हैं, जो पाकिस्तान के लोगों में खास जगह बनाई हुई हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाएँ और संवेदनाएँ जैसे पहले थीं, वैसे ही आज भी हैं।
2. सफ़िया की मन:स्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते/होतीं तो क्या आपकी मन:स्थिति भी वैसी ही होती ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
बिलकुल यदि में सफ़िया की जगह होती, तो मेरी भी मनःस्थिति बिलकुल उसकी जैसी होती। क्योंकि मेरे अंदर भी लोगों के प्रति ऐसा ही प्रेम और इंसानियत है। मेरे लिए प्रेम सबसे ऊपर है। प्रेम के आगे में किसी कानून को तथा किसी विभाजित देश के बंधन को नहीं मानती हूँ। मेरे लिए पाकिस्तान में रहने वाले भी मेरे अपने हैं और भारत में रहने वाले भी मेरे अपने ही हैं।
3. भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं?
उत्तर
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर निम्नलिखित योगदान दे सकता हूँ
- मैं व्यक्तिगत तौर पर अपने मन से शत्रुता का भाव बाहर निकाल दूँगा।
- मैं अन्य नागरिकों के मन से भी पाक के प्रति भरे जहर को बाहर निकालने की कोशिश करूंगा।
- सांस्कृतिक व खेल-कूद के स्तर पर वहाँ से आई टीमों का दिल से स्वागत करूंगा।
- सूचना क्रांति के युग में इंटरनेट के माध्यम से वहाँ के नागरिकों को अपनी भावनाएँ प्रेषित करूंगा।
4. लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफ़िया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर
हम लेखिका के दृष्टिकोण से बिलकुल सहमत हैं। विवाह के बाद स्त्री को विस्थापित होना पड़ता है। यदि वह एक शहर को छोड़कर दूसरे शहर जाए तो भी विस्थापित हो जाती है जबकि सिख बीबी और सफ़िया तो दूसरे मुल्क में ही रह गई जो कि विवाह के बाद स्वाभाविक था। स्त्री अपने जीवन में सर्वाधिक विस्थापित होती है। उसके साथ यह समस्या रहती है। विवाह की रीति ही ऐसी है कि स्त्री को परदेस जाना ही पड़ता है। ऐसे में वह इस विस्थापन का दंश सबसे अधिक भोगती है।
5. विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमिकाएँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों ?
उत्तर
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से सबसे ज्यादा ताकतवर साहित्य व कला माध्यम हो सकता है। यह माध्यम भावनाओं पर आधारित है तथा यह पारस्परिक सौहाद्र को बढ़ाता है। रक्त-संबंधों का दायरा भी सीमित होता है। कलाकार व साहित्यकार पूरे समूह की पीड़ा, दुख-सुख आदि भावनाओं को व्यक्त करता है। इससे दूरियाँ समाप्त हो जाती हैं।
आपकी राय
1. मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगी/करेंगे और क्यों ?
उत्तर
यदि मुझे विदेश जाना पड़े तो अपने मित्र के लिए भारतीय मसाले ले जाना पसंद करूंगी/करूंगा ताकि मेरे मित्र को इनकी खुशबू आती रहे और उनका तन-मन इसमें रंग जाए। तन-मन रंगने से उसे न केवल मेरी बल्कि भारतीयता की याद भी आएगी। तब उसे भारतीयता का सही मायनों में पता चलेगा। हमारा देश अनेक प्रकार के मसालों को निर्यात करता है। अतः ऐसी स्थिति में इससे बढ़िया सौगात कोई हो नहीं सकती।
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए
(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सबै कानून हुकूमत के ही होते हैं?
सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
‘ही’ का प्रयोग कर देने से वाक्य की अर्थवत्ता में वृद्धि होती है। साथ ही, इसका अर्थ किसी विशेषता का द्योतक होता
है। पहले वाक्य से ‘ही’ का प्रयोग यही अर्थ देता है कि हमारा वतन केवल लाहौर है कोई और नहीं। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में ‘ही’ से अभिप्राय है कि क्या कानून केवल हुकूमत के लिए बने हैं। अन्य बातें भी कानून के दायरे में आती हैं।
‘ही’ का प्रयोग
- हम तो आपको ही जानते हैं।
- आपने ही मुझे यह मौका दिया था।
- तुम्हारे कारण ही मैं मरते-मरते बचा।
- मैं ही मूर्ख था जो तुम्हें ईमानदार समझता था।
- मुझे ही इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा गया है।
‘ही’ का प्रयोग (प्रश्नात्मक संदर्भ में)
- क्या सब हुक्म के ही गुलाम होते हैं ?
- क्या आपने कभी जानने की कोशिश ही की?
- क्या वह तुम ही हो जिसे अज्ञात लोगों ने धमकी दी?
- क्या मेरा ही फर्ज रह गया है?
- क्या हर बार मैं ही खर्चा किया करूं?
2. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए। –
मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस
उत्तर
मुरौवत – भलमनसी, संकोच, लिहाज
आदमियत – इंसानियत
अदीब – साहित्यकार, लेखक
साडी – मेरा, हमारा
मायने – अर्थ
सरहद – सीमा (देश की)
अक्स – प्रतिबिंब
लबोलहज़ा – कहने का ढंग, बोलने का तरीका
नफीस – उत्तम, सुंदर, बढ़िया।
3. पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही) से युक्त पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
- तुम यों उठकर चले गए कि कुछ हुआ ही नहीं था।
- नारायण शंकर तो यों नाराज हुआ जैसे कि उसने ही यह सब कुछ किया है।
- मिर्जा गालिब यों उर्दू के शायर थे, तुम यह कैसे कह सकते हो कि मैं वैसे ही कह रहा हूँ।
- नसीरुद्दीन यों फैंसा कि उसे ही चोरी की बात कबूल करनी पड़ी।
- पिछले पखवाड़ा यों गुज़रा कि उसे इस बारे में बताना ही पड़ा।