R त्रिज्या की एक लम्बी परिनालिका में प्रवाहित धारा I की समय (t) पर निर्भरता I(t) = I0 + (1 - t) है। 2 R त्रिज्या की एक वलय समाक्षीय इसके केन्द्र के समीप रखी है। समायान्तराल 0 ≤ t ≤ 1 के दौरान प्रेरित धारा (IR) और प्रेरित वि. वा. बल में परिवर्तन होगा-
(A) IR दिशा अपरिवर्तित रहेगी और VR, t = 0.5 पर अधिकतम होगी।
(B) IR की दिशा अपरिवर्तित रहेगी और t = 0.25 पर VR शून्य होगी।
(C) t = 0.5 पर IR क की दिशा उलट जाती है और VR शून्य होता है।
(D) t = 0.25 पर IR की दिशा उलट जाती है और VR अधिकतम होता है।