नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के प्रमुख पात्र हैं। वे इस काव्य के नायक हैं। सुभाषचन्द्र के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं
- धीरोदात्त नायक – सुभाषचन्द्र उच्च कुलीन, श्रेष्ठ गुणों से युक्त धीरोदात्त नायक हैं। उनकी वीरता, साहस तथ देशप्रेम आदि गुण उनके चरित्र को बहुत ऊँचा उठा देते हैं।
- प्रतिभाशाली व्यक्तित्व – सुभाष का व्यक्तित्व अत्यन्त प्रतिभाशाली है। उनकी बुद्धि भी अत्यन्त प्रखर है। उन्होंने मैट्रिक से बी०ए० तक सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में पास कीं। उन्होंने अत्यन्त सम्मानपूर्ण आई०सी एस० की परीक्षा पास कर देश का गौरव बढ़ाया।
- सच्चे समाज सेवक – सुभाषचन्द्र बोस सच्चे और निःस्वार्थ समाज सेवक थे। उन्होंने जाजपुर गाँव के रोगियों की सेवा करके उनके कष्टों को दूर किया। सन् 1922 ई० में बंगाल में भयंकर बाढ़ आयी। उन्होंने अपना जीवन खतरे में डालकर भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता की।
- राष्ट्रीयता की भावना – सुभाष की नस नस में राष्ट्रप्रेम समाहित था। वे राष्ट्र के लिए अनेक बार जेल गये, अनेक यातनाएँ सहीं। उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया जिसके कारण विदेश जाना पड़ा किन्तु यह सब सहकर भी उन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित कर दिया। उनकी देशभक्ति अडिग थी।
- महान स्वतन्त्रता सेनानी – सुभाषचन्द्र बोस ने आजीवन स्वतन्त्रता के लिए कठोर संघर्ष किया। जब वे देशबन्धु द्वारा स्थापित नेशनल कालिज में प्राचार्य थे, उन्होंने स्वयंसेवकों की टोली बनाकर स्वयं उसका नेतृत्व किया। वे स्वतन्त्रता माँगकर नहीं अपितु लड़कर लेना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और अंग्रेजी शासन की सशस्त्र सेनाओं के साथ डटकर युद्ध किया। उन्होंने भारतीयों को संगठित होकर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। स्वयं भी उन्होंने एक महान योद्धा की तरह कई स्थानों पर युद्ध में विजय प्राप्त की ।
- साम्प्रदायिकता के विरोधी – सुभाष जातिवाद, छुआछूत के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आद सभी धर्मों को मानने वाले सभी जातियों के लोगों को संगठित किया। आजाद हिन्द फौज में सभी धर्मो को मानने वाले नौजवान सम्मिलित थे।
- युवाशक्ति के प्रतीक- सुभाषचन्द्र बोस ने देश के नवयुवकों में जागृति पैदा की। युवकों को क्रान्ति के लिए प्रेरित किया। सुभाष ने ही भारत में संगठित युवा आन्दोलन का प्रारम्भ किया। उन्होंने अपने प्रयत्नों से ‘नव जवान सभा’ की स्थापना की। वे युवाओं के आदर्श थे।