मुहरों की प्रासंगिकता-हड़प्पा की सबसे महत्वपूर्ण पुरावस्तु मुहरें हैं जो बड़ी संख्या में : पा सभ्यता के विभिन्न स्थलों से पायी गयी हैं। इन मुहरों पर एक लिपि अंकित है जो अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है जिसके कारण इन मुहरों का महत्व वर्तमान में भी बना हुआ है। जब मुहरों पर अंकित इस लिपि को पढ़ने में सफलता मिल जायेगी तब हड़प्पा सभ्यता के सन्दर्भ में नयी जानकारियाँ हमारे समक्ष आयेंगी। लिपि की प्रासंगिकता-हड़प्पावासियों की एक लिपि भी थी, परन्तु दुर्भाग्यवश अभी तक इस लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है।
जब तक यह लिपि पढ़ी नहीं जाती तब तक वर्तमान सन्दर्भ में इस लिपि की प्रासंगिकता का निर्धारण नहीं किया जा सकता। माप-तौल की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता-हड़प्पा सभ्यता में माप-तौल के लिए बाँटों का प्रयोग किया जाता था। हड़प्पा सभ्यता के बाँट जिस अनुपात में होते थे उसी अनुपात में वर्तमान में भी होते हैं। हड़प्पा सभ्यता के सभी नगरों में माप-तौल प्रणाली एक समान जो कि वर्तमान में भी पूरे देश में एक समान है। निश्चित ही माप-तौल प्रणाली की प्रेरणा हमें हड़प्पा सभ्यता से मिली होगी। हड़प्पा की माप-तौल प्रणाली आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी।