विशाल फैला हुआ शहर
यह डोमिंगो पेस द्वारा लिखे गए विजयनगर शहर के वर्णन से लिया गया एक उद्धरण है
इस शहर का परिमाप मैं यहाँ नहीं लिख रहा हूँ क्योंकि यह एक स्थान से पूरी तरह नहीं देखा जा सकता, पर मैं एक पहाड़ पर चढ़ा जहाँ से मैं इसका एक बड़ा भाग देख पाया। मैं इसे पूरी तरह से नहीं देख पाया क्योंकि यह कई पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। वहाँ से मैंने जो देखा वह मुझे रोम जितना विशाल प्रतीत हुआ और देखने में अत्यन्त सुन्दर, इसमें कई पेड़ों के उपवन हैं, आवासों के बगीचों में तथा पानी की कई नालियाँ इसमें आती हैं तथा अनेक स्थानों पर झीलें हैं; तथा राजा के महल के समीप ही खजूर के पेड़ों का बगीचा तथा अन्य फल प्रदान करने वाले वृक्ष थे।
क्या आप आज किसी शहर में यह अभिलक्षण देख सकते हैं ? आपके विचार में पेस ने उद्यानों तथा जल-स्रोतों को विशेष उल्लेख के लिए क्यों चुना ?