(1) गद्यांश के पाठ व लेखक का नाम लिखो।
यह गद्यांश "गुरु नानक" पाठ से लिया गया है, जो डॉ. सियाराम शरण गुप्त द्वारा रचित है।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या करो।
व्याख्या: "गुरु किसी एक ही दिन का पार्थिव शरीर से अधिर्भूत हुए होंगे, पर भक्तों के चित्त में वे प्रतिक्षण प्रकट हो सकते हैं।"
यह वाक्य गुरु के दिव्य स्वरूप को व्यक्त करता है। इसका तात्पर्य यह है कि गुरु एक भौतिक रूप में किसी विशेष दिन अवतरित हुए होंगे, परंतु उनकी उपस्थिति और प्रेरणा उनके भक्तों के हृदय में हर समय विद्यमान रहती है। गुरु का प्रभाव समय और स्थान की सीमाओं से परे है और उनकी उपस्थिति एक शाश्वत अनुभव है।
(3) कार्तिक पूर्णिमा के साथ किसका संबंध जोड़ दिया गया है?
कार्तिक पूर्णिमा के साथ गुरु नानक देव जी के अवतार दिवस का संबंध जोड़ा गया है। लोकमानस में यह दिन गुरु नानक देव जी के दिव्य अवतरण के रूप में विशेष महत्व रखता है।