मिट्टी निर्माण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, जो विभिन्न प्राकृतिक और पर्यावरणीय तत्वों के संयोजन से होती है।
मुख्य तत्वों में शामिल हैं-
(i) चट्टानों का अपरदन (Parent Material) - मिट्टी का निर्माण मुख्य रूप से चट्टानों के अपरदन से होता है, जिसमें ऊपरी परत टूटकर और छोटे कणों में बदलकर मिट्टी का रूप लेती है। यह प्रक्रिया जल, हवा, और तापमान द्वारा प्रभावित होती है।
(ii) जलवायु (Climate) - जलवायु मिट्टी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गर्म और नम जलवायु में चट्टानों का अपरदन तेजी से होता है, जबकि ठंडी और शुष्क जलवायु में यह धीमा होता है। वर्षा, तापमान और आर्द्रता मिट्टी की गुणवत्ता और प्रकार को प्रभावित करते हैं।
(iii) जीव (Organisms) - पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव मिट्टी के निर्माण में योगदान करते हैं। पौधों की जड़ें चट्टानों को तोड़ती हैं, जबकि जानवरों और सूक्ष्मजीवों के अपघटन से जैविक पदार्थ (ह्यूमस) मिलते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।
(iv) समय (Time) - मिट्टी का निर्माण समय के साथ होता है। यह एक धीमी प्रक्रिया है और कई वर्षों तक चलती है। पुराने मिट्टी के प्रकार अधिक विकसित होते हैं, जबकि नए मिट्टी के प्रकार में कम उर्वरता और अधिक कच्चे तत्व होते हैं।
(v) स्थलाकृति (Topography) - भूमि की ढलान और ऊँचाई मिट्टी के निर्माण को प्रभावित करती है। ऊँची जगहों पर पानी की बहाव के कारण मिट्टीं का निर्माण धीमा होता है, जबकि निचली और समतल जगहों पर मिट्टी अधिक आसानी से बनती है।
(vi) मानव गतिविधियाँ (Human Activities) - कृषि, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण जैसी मानवीय गतिविधियाँ भी मिट्टी के निर्माण और गुण पर प्रभाव डाल सकती हैं। भूमि का अति उपयोग और अपक्षय मिट्टी की गुणवत्ता को घटित कर सकते हैं। इन तत्वों के संयोजन से विभिन्न प्रकार की मिट्टी बनती है, जो विशेष स्थानों की कृषि, वनस्पति और पारिस्थितिकी पर प्रभाव डालती है।