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निम्नलिखित विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250 - 300 शब्दों में निबंध लिखिए : 

प्रदूषण की समस्या 

(i) भूमिका 

(ii) विकट समस्या के रूप में 

(iii) कारण 

(iv) निवारण

(v) उपसंहार 

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(i) भूमिका-प्रदूषण का अर्थ हैं - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य सामग्री मिलना, न शात वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रमुख प्रदूषण है-वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, और ध्वनि-प्रदूषण।

प्रदूषण के प्रकार : 

(क) वायु प्रदूषण - महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला हुआ है। वहाँ चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआँ, मोटर-वाहनों का काला धुआँ इस तरह फैला गया है कि स्वस्थ वायु में साँस लेना दुर्लभ हो गया है। यह समस्या वहाँ अधिक होती है जहाँ सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है। 

(ख) जल प्रदूषण - कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दूषित जल सभी नदी-नालों में घुल-मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियाँ पैदा होती हैं। 

(ग) ध्वनि प्रदूषण - मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परंतु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउडस्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है। 

(ii) विकट समस्या के रूप में - उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लंबी साँस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियाँ फसलों में चली जाती है जो मनुष्य के शरीर में पहुँचकर घातक बीमारियाँ पैदा करती हैं। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सूखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है। 

(iii) कारण - प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिकाधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयत्र आदि दोषी है। वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।

(iv) निवारण -  विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से बचने के लिए चाहिए कि अधिकाधिक वृक्ष लगाए जाएँ, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से आंतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय किये जाने चाहिए। 

(v) उपसंहार - अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे।

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