'अपराषी कंबील' का तात्पर्य:
'अपराषी कंबील' से तात्पर्य उन घुमंतू या अर्ध-घुमंतू जनजातियों और समुदायों से है, जो पारंपरिक रूप से पशुचारण या खेती जैसे कार्यों में लगे रहते थे। यह शब्द अक्सर ऐसे समूहों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो औपनिवेशिक या आधुनिक शासनों द्वारा आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिये पर धकेल दिए गए।
औपनिवेशिक सरकार और 'चर कर' की वसूली:
औपनिवेशिक सरकार ने चरागाहों और घासभूमि के उपयोग पर नियंत्रण करने के लिए कर वसूलने की नीति लागू की।
- चर कर की शुरुआत: औपनिवेशिक शासन के दौरान, 19वीं शताब्दी के मध्य में, ब्रिटिश सरकार ने 'चर कर' (Grazing Tax) वसूलने की शुरुआत की। इसका मुख्य उद्देश्य पशुपालकों और घुमंतू जनजातियों को नियंत्रित करना और उनसे राजस्व अर्जित करना था।
- उद्देश्य: इस कर से घासभूमि का उपयोग सीमित करना और पशुपालकों की गतिविधियों को नियमित करना था, ताकि कृषि के लिए अधिक भूमि उपलब्ध हो सके और शासकीय लाभ सुनिश्चित हो।
- प्रभाव: इस कर ने घुमंतू समुदायों की आजीविका पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने अपनी पारंपरिक चारागाह भूमि खो दी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई।
इस प्रकार, 'अपराषी कंबील' जैसे समूह औपनिवेशिक नीतियों से प्रभावित हुए और उनके पारंपरिक जीवन में बदलाव आया।