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2. रदरफोर्ड के स्वर्णपत्र प्रयोग का नामांकित चित्र बनाइए।

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रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र का प्रयोग - रदरफोर्ड और उसके साथियो (हेस गीगर और अर्नेस्ट मर्स्डेन) ने सोने की बहुत पतली पन्नी (gold foil) पर α- कणो की बौछार की। इस पन्नी की मोटाई लगभग 100mm थी। इस पन्नी पर एक रेडियोएक्टिव स्त्रोत से उच्च ऊर्जा वाले अल्फा कणो को डाला गया। इस पतली पन्नी के आस पास वृत्ताकार प्रतिदीप्तिशील (fluorescent) जिंक सल्फाइड से बना स्क्रीन होता है। जब कोई अल्फा कण इस स्क्रीन से टकराता है, तो प्रकाश की स्फुर क्षणिदीप्ति (flash) उत्पन्न होती है जो की इन कणो को पहचानने में सहायक होती है।
रदरफोर्ड के इस प्रकीर्णन अनुप्रयोग के परिमाण काफी अनपेक्षित थे। थॉमसन के परमाणु मॉडल के अनुसार पन्नी में उपस्थित सोने के प्रत्येक परमाणु का द्रव्यमान पुरे परमाणु पर एक समान रूप से बँटा हुआ होना चाहिए।
चूँकि अल्फी कणो में ऊर्जा इतनी अधिक होती है की द्रव्यमान के ऐसे समान वितरण से भी सीधे पार कर जायेगे। रदरफोर्ड का यह अनुमान था कि सोने कि पन्नी से टकराने के बाद कणो कि गति धीमी हो जाएगी और उनकी दिशा बहुत कम कोण से बदल जाएगी।
इस प्रयोग से निम्न परिणाम प्राप्त होते है -
1 अधिकांश अल्फा कण सोने की पन्नी से विक्षेपित हुए बिना निकल गए।
2 अल्फा कणो का कम अंश बहुत कम कोण से विक्षेपित हुआ।
3 बहुत ही थोड़े कण (20,000 में से 1) पीछे की ओर लोटे अर्थात लगभग 
180 के कोण से उनका विक्षेपण हुआ। इन प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु की संरचना के बारे में निम्नलिखित निष्कर्ष निकले -
(i) परमाणु के अंदर अधिकांश स्थान रिक्त होता है, क्योकि अधिकांश अल्फा कण सोने की पन्नी को पार कर जाते है।
(ii) कुछ ही धनावेशित α- कण विक्षेपित होते है। यह विक्षेपण अवश्य ही अत्यधिक प्रतिकर्षण बल (repulsive force) के कारण होगा। इससे यह पता चलता है की थॉमसन के विचार के विपरीत परमाणु के अंदर धनवेश समान रूप से बँटा हुआ नहीं है । धनवेश बहुत कम आयतन के अंदर संकेंद्रित होना चाहिए , जिससे धनावेशित अल्फा कणो का प्रतिकर्षण और विक्षेपण हुआ है।

रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र का प्रयोग

(iii) रदरफोर्ड की गणना के अनुसार नाभिक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना में अत्यंत कम (नगण्य ) होता है। परमाणु की त्रिज्या लगभग 10−10m होती है, जबकि नाभिक की त्रिज्या लगभग 10−15m होती है , आकर के इस अंतर का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है की यदि नाभिक क्रिकेट की गेंद जितना माना जाये तो परमाणु की त्रिज्या लगभग 5km होगी।

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