(3) एक प्रारूपिक आवृतबीजी बीजाण्ड लगभग अण्डाकार संरचना होती है। बीजाण्डद्वार (micropyle) को छोड़कर बीजाण्ड प्रायः चारों ओर से दोहरे अध्यावरण से घिरा होता है। कुछ पौधों में अध्यावरण एक पर्त से बना होता है। बीजाण्ड का मुख्य भाग मृदूतक से बना बीजाण्डकाय (nucellus) होता है। परिपक्व बीजाण्डकाय में एक भ्रूणकोष (embryo sac) या मादा युग्मकोद्भिद (female gametophyte) स्थित होता है। भ्रूणकोष में बीजाण्डद्वार की ओर तीन कोशिकाओं से बना अण्ड उपकरण होता है। इसके मध्य में स्थित बड़ी कोशिका को अण्डाणु या अण्ड कोशिका (egg cell) तथा पाश्वीय दोनों कोशिकाओं को सहायक कोशिकाएँ (synergids) कहते हैं। निभाग छोर पर स्थित तीन कोशिकाओं को प्रतिमुख कोशिकाएँ (antipodal cells) कहते हैं। भ्रूणकोष के मध्य में ध्रुवीय केन्द्रक संयुक्त होकर द्वितीयक कन्द्रक (secondary nucleus) बनाते हैं।

बीजाण्ड एक वृन्त के द्वारा बीजाण्डासन के साथ जुड़ा रहता है। इसे बीजाण्डवृन्त (funicle) कहते हैं। जिस स्थान पर बीजाण्डवृन्त बीजाण्ड से जुड़ता है, उसे हायलम (hilum) कहते हैं। बीजाण्डकाय के साथ जहाँ आवरण जुड़े रहते हैं, उस स्थान को निभाग (chalaza) कहते हैं। बीजाण्ड बीजाण्डासन से पोषण प्राप्त करता है।