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6. बीजांड का परिवर्धन तथा गुरु बीजाणु जनन |




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बीजांड का परिवर्धन तथा गुरु बीजाणु जनन

बीजांड (Ovule) पौधों का वह संरचनात्मक एवं कार्यात्मक भाग है, जिसमें निषेचन के बाद बीज का निर्माण होता है। यह पादप प्रजनन की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जो अंडाशय (Ovary) के भीतर स्थित होती है।

1. बीजांड का परिवर्धन (Development of Ovule)

बीजांड का विकास अंडाशय की दीवार से प्रारंभ होता है और इसमें विभिन्न चरण शामिल होते हैं:

  1. प्रारंभिक अवस्था – बीजांड अंडाशय की प्लेसेंटा (Placenta) पर छोटी संरचना के रूप में विकसित होता है।
  2. न्यूसेलस का विकास – बीजांड का केंद्रीय भाग, जिसे न्यूसेलस (Nucellus) कहते हैं, विकसित होता है। यह मेगास्पोरोजेनिक ऊतक से बना होता है।
  3. आवरणों (Integuments) का निर्माण – न्यूसेलस के चारों ओर एक या दो सुरक्षात्मक परतें विकसित होती हैं, जो अंततः बीज की टेस्टा और टेगमेन बनती हैं।
  4. माइक्रोपाइल (Micropyle) का निर्माण – आवरणों के अपूर्ण बंद होने से एक छोटा छिद्र बनता है, जिसे माइक्रोपाइल कहते हैं।
  5. डंठल (Funicle) और हिलम (Hilum) का निर्माण – बीजांड का डंठल विकसित होता है, जिससे यह प्लेसेंटा से जुड़ा रहता है।

2. गुरु बीजाणु जनन (Megasporogenesis)

गुरु बीजाणु जनन वह प्रक्रिया है, जिसमें बीजांड के न्यूसेलस में स्थित गुरु बीजाणु जनक कोशिका (Megaspore Mother Cell) से गुरु बीजाणु (Megaspore) उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  1. गुरु बीजाणु जनक कोशिका का निर्माण – न्यूसेलस की गहरी परतों में स्थित एक कोशिका बड़ी होकर गुरु बीजाणु जनक कोशिका (MMC) बनती है।
  2. मियोसिस विभाजन – MMC मियोसिस (Meiosis) से गुजरती है, जिससे चार हैप्लॉइड गुरु बीजाणु बनते हैं।
  3. क्रियाशील गुरु बीजाणु का चयन – इन चारों में से केवल एक गुरु बीजाणु सक्रिय रहता है, जबकि शेष तीन विघटित हो जाते हैं।
  4. गुरु युग्मकोद्भिद (Megagametophyte) का निर्माण – क्रियाशील गुरु बीजाणु कई बार मिटोटिक विभाजन करता है और भ्रूण थैली (Embryo Sac) का निर्माण करता है।

निष्कर्ष

बीजांड का परिवर्धन और गुरु बीजाणु जनन पौधों के लैंगिक प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि निषेचन के लिए आवश्यक संरचनाएं तैयार हों और बीज का निर्माण संभव हो।

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